Book Title: Baldiksha Vivechan
Author(s): Indrachandra Shastri
Publisher: Champalal Banthiya

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Page 24
________________ ( १८ ) सकते । उनसे मुनिव्रत पालन करनेकी आशा करना अंगुलीसे पहाड़ उठानेकी आशाके समान है। दीक्षार्थीके गुण इस प्रकारके कठोर व्रतके लिए कौन योग्य हो सकता है-यह बनानेके लिए शास्त्रोंमें पर्याप्त रूपसे कहा गया है। हरिभद्रसूरिने धर्मविंदु नामक ग्रन्थमें दीक्षा में नीचे लिखी सोलह बातोंका होना आवश्यक माना है (१) आर्यदेशमें उत्पन्न हुआ हो। (२) उच्च जाति तथा कुल वाला हो। (३) जिसके कर्ममल क्षीणप्राय हो गये हों। (४) निर्मल बुद्धिवाला हो। (५) मनुष्य जन्म दुर्लभ है, जन्म होना मृत्युका कारण है, संपत्तियाँ चंचल हैं, इन्द्रियोंके विषय दुःखके हेतु हैं, संयोगमें वियोग अवश्य रहता है, प्रत्येक प्राणीकी क्षण-क्षणमें मृत्यु होती रहती है, कर्मके फल भयङ्कर हैं, इत्यादि बातोंसे संसारकी असारता समझने वाला। (६) उपरोक्त कारणोंसे संसारसे विरक्ति धारण करनेवाला । (७) मन्द कषाय वाला। (८) मन्द हास्यादिवाला । (६) कृतज्ञ अर्थात् दूसरे द्वारा किए हुए उपकारको मानने वाला। (१०) विनय वाला। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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