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( १६ ) (११) दीक्षा लेनेसे पहले राजा, प्रधानमन्त्री तथा अपने ग्रामसे प्रतिष्ठा प्राप्त ।
(१२) किसीके साथ झगड़ा नहीं करनेवाला ।
(१३) सुन्दर तथा पूर्ण अंगों वाला । अर्थात् जिसकी पाँचों इन्द्रियाँ पूर्ण हों और आकृति भव्य हो।
(१४) श्रद्धावाला।
(१५) दृढ़तावाला। जो विघ्न आनेपर भी प्रारम्भ किये हुए कार्यको न छोड़े।
(१६) दीक्षा लेने अर्थात् धर्मके लिए आत्मसमर्पण करनेके लिए जो स्वयं आया हो।
उपरोक्त सोलह गुणों वालेको दीक्षाका अधिकारी माना गया है। (धर्मविन्दु अ०४ सूत्र ६ तथा धर्मसंग्रह अघि० ३ गा० ७३-७८)
दीक्षाके अयोग्य दोक्षार्थीके गुण बतानेके साथ-साथ ऐसे व्यक्तियोंको भी बताया गया है, जो दीक्षाके योग्य नहीं होते। 'आचार दिनकर' में नीचे लिखे अठारह व्यक्ति दीक्षाके अयोग्य बताये गये हैं।
बाले बुड्ढे नपुंसेय क्लीवे जड़े य वाहिए। तेणे रायावगारीय उमंतेय अदंसणे ॥ दासे दुट्ठय मुड्ढे य अणत्ते जंगीय इय ।
मोबद्धए य भय ए सेहनिफ्फेडिया इय ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com