Book Title: Baldiksha Vivechan
Author(s): Indrachandra Shastri
Publisher: Champalal Banthiya

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Page 62
________________ के लिए बनाए गए कानूनोंकी कमी नहीं है । सतीप्रथा एक रिवाज . था किन्तु वह सरकार द्वारा कानूनन बन्द कर दिया गया। बाल विवाह और वृद्ध विवाह भी रिवाज थे किन्तु उनका निषेध करने वाला कानून मौजूद है। इसी प्रकार बाल दीक्षा व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र सभी दृष्टियोंसे कुप्रथा है। इसको बन्द करनेके लिए कानून बनाना समाज हितैषियों और राज्यका अवश्य कर्तव्य है। (ख) धर्मशास्त्रोंको आज्ञाके विषयमें पहले काफी लिखा जा चुका है। बीकानेर में मुख्यतया तीन जातियाँ रहती हैं हिन्दू, मुस्लिम और जैन। तीनोंमें से किसीका भी धर्मशास्त्र बाल दीक्षाका अनुमोदन नहीं करता, प्रत्युत निषेध करता है। इस कानून के बनने पर धर्मशास्त्रोंकी आज्ञाका खण्डन नहीं किन्तु पालन होगा। (ग) अदालतोंमें ऐसी नजीरोंकी कमी नहीं है जहाँ दीक्षा लिए हुए व्यक्तियोंने दुराचार किया है। उसका कारण एक मात्र यही है कि ऐसे व्कक्तियोंको साधु बना लिया जाता है जिनकी वासनाएँ तृप्त नहीं हुई हैं। (घ) बैज्ञानिक दृष्टिसे देखा जाय तो बालक साधु बननेके योग्य कभी नहीं माना जा सकता। इसके लिए एक तरफ बालकके शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकासको रेखा जाय और दूसरी तरफ उन बातोंको रखा जाय जो साधु में होनी बावश्यक है तो पता चलेगा कि बालक किसी भी दृष्टिर्स इतना विकसित नहीं होता जिससे साधुत्वका बोझ उठा सके। (क) नीतिको दृष्टिसे देखा जाय तो ऐसा कानून बनाना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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