Book Title: Baldiksha Vivechan
Author(s): Indrachandra Shastri
Publisher: Champalal Banthiya

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Page 39
________________ ( ३३ ) राष्ट्रीय दृष्टि (१) भारतवर्षमें इस समय साधु, संन्यासी या फकीरके नाम से पुकारे जानेवाले व्यक्तियोंकी संख्या ७० लाखसे अधिक है। भारत सरीखे दरिद्र देशमें इतनी बड़ी संख्या मेहनत मज़दूरी बिना किए केवल दूमरोंके टुकड़ों पर पलती है। इस संख्याकी वृद्धिको रोकने के लिये यह आवश्यक है कि अयोग्य व्यक्तियोंकी भरती अब और न की जाय। (२) महावीर' बुद्ध, शंकर, रामानुज, दयानन्द, विवेकानन्द आदि महापुरुषोंने अकेले होनेपर भी भारतवर्षको जगा दिया । आज उनकी गद्दी पर बैठनेवाले ७० लाख होनेपर भी भारतवर्ष दिन प्रति दिन गिर रहा है। राष्ट्रके उत्थानमें ये बहुत बड़े बाधक बने (३) बैठे ठाले पेट भर जानेके कारण ऐसे साधु देशमें आलस्य और अकर्मण्यता फैलाते हैं। दिन रात बड़ी मेहनत करने पर भी जो लोग भरपेट भोजन नहीं प्राप्त कर सकते, वे जब मुफ्तके मालमलीदे खाकर तोंद पर हाथ फेरते हुए साधुओंको देखते हैं, तो उनका जी ललचा जाता है। इस प्रकार देशकी उत्पादक शक्ति कम होती जाती है। ये ही साधु यदि खेती या मेहनत मजदूरी करें तो देश की समृद्धिको बढ़ा सकते हैं। (४) बालक राष्ट्रकी बहुत बड़ी सम्पत्ति होते हैं। उनसे राष्ट्रको बड़ी बड़ी आशाएं होती हैं। उनके विकासको रोककर जीवन भरके लिए अकर्मण्य बना देना राष्ट्रका बहुत बड़ा नुकसान है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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