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क) साधु बननेपर बालक अपने व्यावहारिक विकासके लिए शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकता।
(ख) वह अपनी संपत्तिका अधिकार खो बैठता है । - (ग) वह विवाह आदि करके सुखपूर्वक जीवन व्यतीत नहीं कर सकता।
(घ) दीक्षा छोड़ देनेपर जातिसे बाहर तथा पतित समझा जाता है।
इन सब कारणोंसे यह स्पष्ट है कि दीक्षा दिलानेवाले संरक्षक बालकके हितोंकी रक्षा नहीं करते। ऐसी दशामें वे संरक्षक होनेके अयोग्य हैं। __, माता पिता बालककी धार्मिक उन्नतिके लिये उसे धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं किन्तु उसे ऐसी जोखिममें नहीं डाल सकते जिससे वह अपने पैतृक अधिकारोंसे हाथ धो बैठे। इस लिये उन्हें चेला चेली बना देनेका संरक्षकको अधिकार नहीं है। ___ संपत्तिके संरक्षककी हैसियतसे देखा जाय तो राजशक्ति बालक को कोई भी ऐसा कार्य करनेसे रोक सकती है जिमसे वह अपनी संपत्तिका अधिकार खो बैठे । दीक्षा एक ऐसा कार्य है जिसमें बालक अपनी संपत्तिका अधिकार खो देता है।
(७) Guardians &Wards Act (अभिभावक व नावालिग का कानून ) जो कि बीकानेरका Act No. I 1922 (१९२२ का कानून नं० १) है, खुलासा कहता है कि नाबालिग १८ बर्षसे कम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com