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दीक्षा देनेवालेके गुण दीक्षार्थीके सिवाय दीक्षा देनेवालेमें भी नीचे लिखे पन्द्रह गुणों का होना आवश्यक बताया गया है
(१) जिसने स्वयं विधिपूर्वक दीक्षा ग्रहण की हो। (२) गुरुकुलकी अच्छी तरह उपासना करनेवाला हो । (३) अस्खलित रूपसे ब्रह्मचर्य पालनेवाला हो। (४) जिसने आगमोंका अच्छी तरह अध्ययन किया हो। (५) निर्मल ज्ञानके द्वारा तत्त्वको जानने वाला। (६) उपशान्त अर्थात् मन, वचन और शरीरके विकारोंको
रोककर उन्हें वशमें रखने वाला । (७) साधु, साध्वी, श्रावक श्राविका रूप चतुर्विध संघके प्रति
वात्सल्य वाला। (८) प्राणिमात्रका कल्याण करनेमें तत्पर रहनेवाला । (8) जिसकी बात सभी मानते हों। (१०) गुणी पुरुषोंका अनुसरण करने वाला। (११) गम्भीर । (१२) विषाद ( शोक ) रहित । (१३) उपशम लब्धि वाला। (१४) सिद्धान्तके अर्थका उपदेश करनेवाला । (१५) गुरुके पाससे जिसे गुरुपद प्राप्त हो चुका हो।
धर्मसंग्रह अधिकार ३ गाथा ८०-८४
धर्मबिन्दु अध्याय ४ सत्र ७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com