Book Title: Apaschim Tirthankar Mahavira Part 02 Author(s): Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh View full book textPage 9
________________ अर्थ सहयोगी परिचय नए शब्दो के साथ नूतन वाक्यो मे शास्त्रोक्त निहित प्रेरक प्रसगो के प्रस्तुतिकरण की एक अद्वितीय कृति है- "अपश्चिम तीर्थंकर महावीर " भाग-2 इस अनुपम कृति के अर्थ सहयोगी अनन्य निष्ठावान, परम गुरुभक्त, सेवारत, साधनाशील श्री सुजानमलजी कर्नावट एव उनकी धर्मपत्नी अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती गुणमालाजी कर्नावट है। पूर्व मे भी " अपश्चिम तीर्थंकर महावीर" भाग - प्रथम के प्रथम व द्वितीय सस्करणो का मुद्रण भी आपके अर्थ सौजन्य से ही हुआ है । मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी इन्दौर मे जन्मे श्री सुजानमलजी कर्नावट आत्मज श्री प्यारचदजी कर्नावट ने व्यावसायिक, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रो मे महनीय कर्मठ कार्यों से न केवल कुल परम्परा को यशस्वी बनाया है, वरन् अपने उज्ज्वल कृतित्व से जिनशासन को भी गौरवान्वित किया है। हुक्मगच्छ के परम प्रतापी जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी मसा से लेकर वर्तमान आचार्यप्रवर श्री रामलालजी मसा के शासन के प्रति सर्वतोभावेन समर्पित कर्नावट परिवार धर्मसंघ की सभी प्रवृत्तियो मे सक्रिय योगदान देने के लिए सदा ही अग्रसर रहा है । उन्हीं श्रावकरत्न श्री सुजानमलजी कर्नावट के आदर्शपद चिन्हो का पदानुसरण करने वाले युवा हृदय श्री किशोरकुमाजी- श्रीमती नन्दाजी तथा दीपककुमारजी - श्रीमती रेखाजी पुत्र एव पुत्रवधुए भी उसी तरह से सघ, समाज, जिनशासन तथा गुरु भगवन्तो के प्रति सर्वतोभावेन समर्पित हैं। कर्नावट परिवार भाग्यशाली है कि उन्हे शास्त्रज्ञ तरुण तपस्वी, चारित्र चूडामणि, अखण्ड बाल ब्रह्मचारी परम पूज्य आचार्यश्री रामलालजी मसा की आज्ञानुवर्तिनी परम विदुषी, पडितरत्ना, महासती श्री विपुलाश्रीजी मसा द्वारा विरचित अनुठी कृति "अपश्चिम तीर्थकर महावीर" भाग -2 के मुद्रण का सौभाग्य मिला है। श्री कर्नावटी को इस हेतु अपनी प्रणति समर्पित करते हए शासनदेव से प्रार्थना करता हू कि वे इसी तरह से आचार्य भगवन् के शासन के चहुमुखी विकास में अपना समर्पण एव योगदान देते हुए सदैव कालजयी बने रहे। देवीलाल सुखलेचाPage Navigation
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