________________
72 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय चितन किया कि होनहार बलवान है। अब तो चेलना ने श्रेणिक का वरण कर ही लिया तो रोष करने से क्या लाभ? चेटक सतोष धर लेता है।
लेकिन सुज्येष्ठा! वह सब वृत्तान्त श्रवण कर रही थी। श्रवण करते-करते विकारी मन वैरागी बन गया। सोचने लगी-ओह ! मैंने कितना कपट जाल रचा। स्वय मैने श्रेणिक को आमत्रण भिजवाया और उसको एक पल निहारने के लिए कितने-कितने अरमान सँजोए । सुरग-द्वार से मेरे ही लिए श्रेणिक आया ____ मात्र मेरे लिए परन्तु मैंने चेलना को भेज दिया और मै रलो मे, आभूषणो मे उलझी रही श्रेणिक ने आत्मरक्षा के लिए चेलना के बैठने पर स्थ मोड लिया। मैं श्रेणिक को प्राप्त नहीं कर सकी तो मैंने उलटी चाल चली। हाय ! श्रेणिक को बदनाम करने का प्रयास किया मेरे कारण बत्तीस वीर अगरक्षक मारे गये अरे। मेरी वासना की आग ने कितने जीवो की हत्या कर डाली। वासना . अधी होती है। वासना विवेक-विकल होती है। वासना चेतना को आवरित कर देती है। वासना अपने जाल मे फंसाकर जीवन के समस्त सद्गुणो को धो डालती है।
इसी वासना-कामना के पाश मे जकडकर मैंने कितना जघन्य अपराध कर लिया। श्रेणिक भी नहीं मिला और युद्ध का कारण मैं बनी। मॉ की गोद से लालो का हरण कर लिया। स्त्रियो की मॉग का सिन्दूर पोछ दिया। घर मे दुख की ज्वाला प्रज्वलित कर दी। अब मेरा क्या होगा इतने पापो का पिटारा मैने बाँध लिया है। धिक्कार है मझे! मेरी वासना को बारम्बार धिक्कार है। अब ससार नहीं, सयम चाहिए। राग नहीं, विराग मे जीना है। सुज्येष्ठा का कामासक्त मन वैराग्य में परिवर्तित हो गया और वह अपने पिता चेटक से बोली-पिताश्री । मेरा मन ससार से विरक्त बन गया है। मैं भगवान् महावीर की सन्निधि मे सयम लेकर अपना जीवन सफल करना चाहती हूँ।
पिता ने सुज्येष्ठा के वैराग्य को दृष्टिगत कर उसे सयम लेने की आज्ञा प्रदान कर दी। सुज्येष्ठा भगवान महावीर के चरणो मे पहुंची और उसने भगवान् की धर्मदेशना श्रवण कर प्रभु के मुखारविन्द से सयम अगीकार कर लिया। सयम ग्रहण करके आर्या चन्दनबालाजी की सन्निधि मे सयम-तप से अपनी आत्मा को भावित करती हुई विचरण करने लगी।
सुज्येष्ठा तो साध्वी बन गई। इधर चेलना रथ मे श्रेणिक के साथ एकाकी वैठी लज्जा का अनुभव कर रही थी। इतने दिन तक कन्या अन्त पुर मे उसने
किसी अनजान पुरुष से बातचीत भी नहीं की और आज भगिनी के प्रेम से रथ __... में बैठ गयी। क्या विधि की विडम्बना है? जिस बहन ने श्रेणिक को हृदय-सम्राट