Book Title: Apaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Author(s): Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 231
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय 273 3, प्रका लालभाई दलपत भाई भारतीय संस्कृति विद्या मंदिर, प्र सं सन् 1969, 72-841 . 55 क. ख. Lord Mahavira and his times, Kailash Chandra Jain, Motial Banarsidass Delhi, FE 1974, Page - 102 त्रिषष्टिश्लाकपुरूषचारित्र, वही, पृ. 114-15। ख. आवश्यकसूत्र, वही, पत्रांक 334-371 56. क. सन्मति महावीर, सुरेश मुनि, पृ. 94-95। ख. जेल में मेरा जैनाभ्यास, सेठ अचलसिंह, अचल ग्रन्थ-माला, आगरा, प्र. सं. सन् 1935, पृ. 361 57. त्रिषष्टिरलाकापुरूषचारित्र, वही, पृ 1141 58. श्री महावीर चरित्र, आ. गुणचंद, अष्टम प्रस्ताव, पृ 3771 59 क. जवाहर किरणावली, सती वसुमति, आ. श्री जवाहर, भाग 2, प्र सं 1993, प्रका. जैन जवाहर विद्यापीठ, भीनासर, 191-921 ख. तीर्थंकर महावीर, श्री मधुकर मुनि, पृ 140, वि.सं. 20311 60 जवाहर किरणावली, सती वसुमति, वही, पृ. 1931 61 क जवाहर किरणावली - नारी जीवन, आ. श्री जवाहर, प्रका. श्री जवाहर साहित्य समिति, भीनासर, तृ स. सन् 1980, पृ. 2। ख. जैन दर्शन के मौलिक तत्त्व, भाग-2, लेखक मुनि नथमल, सम्पा छगनलाल शास्त्री, प्रका. मोतीलाल बेगाणी चेरिटेबल ट्रस्ट, कलकता, प्र. सं. 1960, पृ. 61 62 वशिष्ट धर्मसूत्र, 8, 14। 63 स्मृति चन्द्रिका व्यवहार, पृ. 2541 64 अत्रिस्मृति 136-1371 65 महावग्ग, पृ 411 66 साधुभन्ते, लभेय्य मातुगामो तथागतप्पवेदितं धम्म - विनये आगारस्या अनगारिय पव्वज्र्ज्जति। अलं गोतमि, मा ते रूच्चि मातुगामस्स पव्वज्जा ति। “चुल्ल वग्ग, पृ. 2731 प्रका. नालन्दा- देवनागरी पाली ग्रन्थमाला, बिहार, 19561 67 अथ खो महापजापति गोतमी केस छेदायेत्वा कासायनि अत्थानि वच्छादेत्वासम्बहुलाहि साकियानीहि सद्धिं येन वेसाली तेन पक्कामि। वही, चुल्लवग्ग, पृ. 3731 68. स चे, भन्ते, भव्वो मातुगामो तथागतप्पवेदिते, धम्म-विनये आगारस्मा अनगारिय पव्वजित्वा अरहत्तफलं ति सच्छिकातुं बहूपकारा, भन्ते, महापलापती गोतमी ...

Loading...

Page Navigation
1 ... 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257