Book Title: Apaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Author(s): Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh

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Page 253
________________ पडक वन ( वृत्त वैताढ्य ल चौ ऊँ १००० योजन उपरि तन काड ३६००० योजन ॐ सर्वथा जम्बूनव मय X . सौमनस रे Lates . . मध्यम काड ६३000 योजन ऊचा ४ प्रकार का है अक रत्न मय स्फटिक मय स्वर्ण मय रजत मय LT५ नन्दन वन भद्रसाल वन अधस्तन काई 1000 योजन जमीन में गहरा, ४ प्रकार पृथ्वी (मृत्तिका रूप), उपल-पाषण रूप, वज्र-हीर-कमये, शर्करा-कडकररूप

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