Book Title: Apaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Author(s): Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 237
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय : 279 145 जैन धर्म का मौलिक इतिहास, आ. श्री हस्तीमल जी म. सा, भाग-2, पृ 2561 146 जैन कथा माला, भाग-7-8, लेखक युवा मधुकर मुनिजी, पृ. 9-101 147 वही, पृ 10। 148 दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, टीका श्री घासीलाल जी महाराज, प्रका. अ. भा. श्वे. स्था जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, द्वि स सन् 1960, पृ. 332–3651 149 ज्ञाताधर्मकथांग, अभयदेववृत्ति, प्रका, आगमोदय समिति, सन् 1919, पत्राक 461 इन्द्रादि महोत्सवो के लिए द्रष्टव्य ग्रन्थ । इन्द्रमहोत्सव - क. त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, पर्व 1, सर्ग 6, श्लोक 214-151 ख. वासुदेवहिण्डी, पृ. 184 । ग. निशीथचूर्णि, पत्रांक 1174। ङ स्कन्द महोत्सव क. वृहत्कल्प, भाग-4, गाथा 3465, पृ9671 ख. आवश्यकचूर्णि, पूर्व भाग, जिनदास महत्तर, प्रका. श्री ऋषभदेवजी, केशरीमल जी संस्था, रतलाम, सन् 1928, पत्रांक 3151 रूद्रमह · वृहत्कल्प लघुभाष्य, प्रका. श्री जैन आत्मानंद सभा, सन् 1938, भाग-5, श्लोक 5153, पृ 13711 आवश्यक चूर्णि, पूर्वार्द्ध, पत्र 3151 क. निशीथचूर्णि, पत्राक 2361 ख. व्यवहार भाष्य, भाग 7, सप्तम उद्देशक, प्रका. वकील केशवलाल, प्रेमचंद, अहमदाबाद, गाथा 3131 मुकुन्दमह : आवश्यक चूर्णि, पूर्वार्द्ध, पत्रांक 293-941 शिवमह : - क वृहत्कल्पसूत्र (लघुभाष्य), सटीक, भाग-1, वही, पृ 253 की पाद टिप्पणी । ख वृहत्कल्पसूत्र (लघुभाष्य), पंचम विभाग, श्लोक 5928, पृ 15631 वेसमणमह : जीवाजीवाभिगम, तृतीयप्रतिपत्ति, मलयगिरिवृत्ति, पत्रांक 281 । नागमह. -- वासुदेव हिण्डी, पृ. 304-51 T

Loading...

Page Navigation
1 ... 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257