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अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय . 67 इससे तापसी क्षुब्ध हो गई और उसे क्रोध आया कि इस सुज्येष्ठा को बहुत अहकार है, इसलिए इसका विवाह वहाँ करवाना चाहिए जहाँ एक राजा के अनेक पत्नियाँ हो, तो वह स्वयमेव वहाँ दुखी बन जाएगी।
क्रोधावेश मे व्यक्ति दूसरो को दुख देने की बात सोच लेता है, लेकिन आज तक कौन किसको सुख-दुख दे पाया है? सुख-दुख तो कर्माधीन हैं। लेकिन तापसी का सुज्येष्ठा से वैर जागृत हो गया और उसने पिण्डस्थ ध्यान के माध्यम से सुज्येष्ठा का रूप मन मे उतार लिया और समय आने पर उसको एक चित्र का रूप दे दिया। चित्र अत्यन्त सजीव बन गया। उसी चित्र को लेकर तापसी राजगृह नगर गई और वहाँ जाकर राजा श्रेणिक को कहा-राजन् आपके लिए मै बहुत सुन्दर कन्या का चित्र लाई हूँ जो आपके अन्त पुर मे शोभित हो सकती है। राजा ने कहा-बताओ।
तब तापसी ने वह चित्र बताया। चित्र देखते ही राजा मत्रमुग्ध हो गया। वह भान भूल गया और बोलने लगा-अहा! इस बाला का कितना मनोहर रूप है। मयूर का आकर्षक रूप भी इसके आगे फीका नजर आ रहा है। अहा | इस मनोहर मुख को देखकर मै मधुकर बन गया हूँ। इतना प्रियकारी, कमनीय व मत्रमुग्ध करने वाला इसका सुकोमल गात्र मुझे बरबस आकृष्ट कर रहा है। अग-प्रत्यगो से फूटने वाला यौवन उषा की भॉति मन मे आहाद पैदा कर रहा है। इस मगनयनी के कमनीय कटाक्ष अद्वैत शौर्य के प्रतीक हैं। पर यह बताओ कि यह परमसुन्दरी है कौन? यह चित्र काल्पनिक हे या किसी वास्तविक कन्या का है?
इस पर तापसी ने कहा-जैसी अद्वितीय सुन्दरी वह कन्या है, उसका सोवा अश भी यह चित्र बन नहीं पाया है।
ओह | इतनी सुन्दरी ! इतना कहते-कहते राजा का मन काम-विहल हो गया। कामार्त व्यक्ति भान भूल जाता है।xir वह जड को भी चेतन समझने लगता है। राजा ने भी सुज्येष्ठा के चित्र को सुज्येष्ठा समझ लिया ओर पूछता हे कि सुन्दरी | तुम कौन हो? जब जवाब नहीं मिलता है तो होश आता है। अरे! यह तो चित्र है। तत्पश्चात् सम्हलकर तापसी से पूछता है कि यह कमलिनी सस्पर्श सहित है या रहित? यह कौन देश को अलकृत कर रही है? ____तापसी वोली-राजन् ! यह वैशाली के अधिपति हैहयवश मे उत्पन्न राजा चेटक की पुत्री सुज्येप्टा है।* यह सब कन्याओ में निपुण है व आप द्वारा वरण करने योग्य है।
राजा श्रेणिक ने यह सब सुनकर उस तापसी को बहुत धन्यवाद दिया व