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LILAHIDI IRAM
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परमागमस्य बीजं निषितजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमयनं नमाम्यनेकान्तम् ॥ वीर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
वीर-निर्वाण संवत् २५१५, वि० सं० २०४६
वर्ष ४२ किरण ३
जुलाई-सितम्बर
१९८९
ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावे ? ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावे,
जाको जिनवाणी न सुहावै ॥ वीतराग सो देव छोड़ कर, देव-कुदेव मनावे। कल्पलता, दयालता तजि, हिंसा इन्द्रासन बावै ॥ऐसा०॥ रुचे न गुरु निम्रन्थ भेष बहु, परिग्रही गुरु भाव । पर-धन पर-तिय को अभिलाषे, अशन अशोधित खावै ॥ऐसा०॥ पर को विभव देख दुख होई, पर दुख हरख लहावै । धर्म हेतु इक दाम न खरच, उपवन लक्ष बहावै ॥ऐसा०॥ ज्यों गृह में संचे बहु अंध, त्यों बन हू में उपजावै । अम्बर त्याग कहाय दिगम्बर, बाघम्बर तन छावै ॥ऐसा०॥ आरंभ तज शठ यंत्र-मंत्र करि जनपं पूज्य कहाव । धाम-वाम तज दासो राखे, बाहर मढ़ी बनावै ॥ऐसा०॥