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सावधान !
नीम हकीम खतरे जान,
नीम हकीम खतरे ईमान हमारी जैन समाज में कई भारतीय स्तर को संस्थाएँ है जो दिन-रात भारत की राजनैतिक संस्थाओं की तरह जैनों की गरीबी दूर करने पर जोर देती है। इन संस्थाओं के बहत में नेता जैन समाज को विधटन से बचाने का राग भी अलापते हैं।
इन नेताओं में बड़े नेताओं सहित, बहतों को तो जैन धर्म मे वणित श्रावक के पटआवश्यक कर्तव्यों के नाम तक पालन नहीं है। इनमें अधिकतर नेता रात्रि में भोजन करते है, अनछने जल का प्रयोग करते है और कुछ नेता अबाध गति मे धूम्रपान करते है और कुछ तो उससे आगे भी पहुँच गये है।
ये हो नेता भगवान महावीर के संदेश का प्रचार करते हैं। कभी-कभी बच्चों को धार्मिक शिक्षा हेतु पाठशाला दलाने का आदेश भी देते है। द का सबसे अधिक जोर सामाजिक पाठन पर रहता है। ये
होले फार फाड़ कर माइक पर चिल्लाते है कि रात्रि में शादियां न करे। ये दहेज लेना-देना जित बताते है। फिजलखर्ची न हो ऐगा परामर्श देते हैं। जन को नीमबन्ध करने की गलाह देते है। लेकिन अधिकतर नेताओ का आचरम इन सब बातो के विरुद्ध होता है। ये ही लोग अजेनों में पिता करके गर्व महसूस करते है। रातो में शादी करते है। दहेज अस्टिन-अधिक लेते है। कई के यहाँ पापा का बहाना लेकर काकरन पार्टी भी होती हो तब भी आश्चर्य न।
समाज को एमे नेताआने सावधान रहनाई। कही ऐसा न हो कि ये नेतागण अपने पद और नेतागीरो को सुरक्षित रखने के चक्कर में हमें हमारे धर्म के मल स्वरूप से दूर करा दे और आगम सिद्धान्तों के विपरीत चलाकर हमें हमारे ।
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कागज प्राप्ति -श्रीमती अंगरी देवी जैन (धर्मपत्नी श्री शान्तिलाल जैन कागजी) नई दिल्ली-२ के सौजन्य से