________________
अहिंसा ही विकल्प है
बन्धुत्व का अर्थ यह नहीं कि जो आपके भाई बनें, जो आपको चाहें, उन्हीं के आप भाई बनें । यह तो सौदा हुआ, बदला हुआ। बंधुत्व में व्यापार नहीं होता । मेरा धर्म तो मुझे यह शिक्षा देता है कि बन्धुत्व मनुष्य मात्र के साथ ही नहीं, प्राणी मात्र के साथ होना चाहिए ।....'यह बात मैं यह दिखाने के लिए करता हूं कि यदि हम अपने शत्रु के साथ भी प्रेम करने के लिए तैयार न हों तो हमारा बंधुत्व कुछ नहीं, एक ढकोसला है। दूसरी तरह से इसे यों कह सकता हूं कि जिसने अपने हृदय में बंधुत्व-भाव को स्थान दिया है, वह यह कहने का अवसर नहीं देगा कि उसका कोई शत्रु है।...' शत्रु को बन्धु कैसे समझे ?
सवाल यह होता है कि जो हमें अपना शत्रु समझते हैं, उनके साथ प्रेम किस तरह करें ? प्रतिदिन मुझे हिन्दू, मुसलमान और ईसाई लोगों की चिट्ठियां मिलती हैं, जिनमें वे कहते हैं कि यह बात गलत है कि वे शत्रु को प्यार कर सकते हैं । हिन्दू लिखते हैं कि जो गाय हमारे प्राणों के समान प्रिय है, उसे मारने वाले मुसलमान के साथ प्रेम किस तरह हो सकता है ? ईसाई पूछते हैं कि अस्पृश्यता मानने वाले, अछूत समझकर अपने भाइयों को दलित करने वाले हिन्दुओं के साथ प्रेम किस प्रकार करें ? मुसलमान लेखक पूछता है कि वुतपरस्त के साथ मुहब्बत की जा सकती है ? इन तीनों से मेरा यह कहना है कि आपका बन्धुत्व बेकार है, यदि आप अपने पत्र में वर्णित लोगों को न चाह सकते हों। इस तिरस्कार भाव का अर्थ क्या है ? इसके मूल में भय है या असहिष्णुता है ? यदि हम सब एक ईश्वर की संतान हैं तो एकदूसरे से क्यों डरें, अथवा अपने से भिन्न मत रखने वाले से द्वेष क्यों करें ? किंतु जिस कृत्य से हम घृणा करते हों उसे क्या किसी मुसलमान को करने दें ? मेरा बन्धुत्व उत्तर देता है-हां । इसमें इतनी बात और जोड़ता हूंआप अपनी बलि चढ़ा दीजिए, यदि आप अपनी प्रिय वस्तु की रक्षा करना चाहते हैं तो बिना किसी पर हाथ उठाये उसके लिए मर जाइए। मुझे ऐसी घटनाओं का अनुभव है । आपके अन्दर यदि प्रेम के साथ कष्ट सहने की हिम्मत हो तो आप पाषाण-हृदय को भी पानी-पानी कर सकेंगे। बदमाश यदि आप से सवाया हो तो आप हाथ उठाकर क्या करेंगे? वह आपको जीतकर अधिक बदमाशी न करेगा? दुष्टता की आग विरोध के घी से क्या और नहीं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org