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अहिंसा : व्यक्ति और समाज इस संस्था के संगठन का आधार संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्वविद्यालय का स्वरूप हो सकता है, अर्थात् इसके कार्य का संचालन सहयोगी व्यक्तियों एवं संस्थाओं का विश्व भर में एक जाल बिछाकर उसके माध्यम से किया जा सकता है। इसमें एक केन्द्रीय कार्यकर्ता समूह होगा, जो संस्था के वैचारिक ढांचे को प्रतिबिम्बित करेगा। किन्तु इस प्रकार का केन्द्र केवल एक नहीं होगा, इसकी उपयोगिता एक बार सिद्ध हो जाने पर इसके अनेक केन्द्र हो जायेंगे और विश्वभर में अनेक स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्रों का जाल बिछ जायेगा।
यद्यपि इस संस्था की आधारशिला अहिंसा की प्रेरणा है, फिर भी इसे अहिंसक मानव समाज की रचना में सहयोग देने से परे किसी आध्यात्मिक या लौकिक मताग्रह से मुक्त रहना होगा। इससे अभिप्राय यह है कि इस संस्था को ऐसे लोगों और संस्थाओं की भी सेवा करनी होगी जो हिंसावादी एवं हिंसक प्रवृत्ति के हैं तथा उनकी भी जो उभयवादी-अर्थात् कभी हिंसा के समर्थक और कभी अहिंसा के समर्थक, हैं। संस्थागत मान्यता और मतैक्य का न्यूनतम रूप यह होना चाहिए कि हिंसा, अहिंसा और इन दोनों के पारस्परिक परिवर्तन के बारे में कोई भी दृष्टिकोण सामने आये, संस्था का निरन्तर लक्ष्य एक ही रहेगा कि मानव जीवन से हिंसा का लोप हो। इसका अर्थ यह हुआ कि संस्था को ऐसे अहिंसक समाज की रचना में पूरा-पूरा सहयोग देना होगा और सार्वभौम अहिंसक जीवन के लक्ष्य के माध्यम या साधन भी अहिंसक ही होंगे। संगठन और समर्थन सुविधायें
ऐसी कल्पना है कि इस संस्था की एक सार्वभौम परामर्शदात्री समिति होगी, जो इस संस्था के वैचारिक आन्तरिक स्वरूप एवं कार्यक्षेत्र को दुनिया के समक्ष प्रतिबिम्बित करेगी । इसकी एक कार्यक्रम समन्वयक समिति होगी, जो मानव मूल्यों, विज्ञान और उपक्रम में निष्णात होगी, इसके अपने परियोजना समन्वयक होंगे, जिनकी सारे विश्व में आवश्यकता होगी। इसका अपना केन्द्रीय प्रशासक होगा, एक वित्तीय निदेशक एवं एक सूचना विशेषज्ञ होगा और सहयोगी व्यक्तियों और संस्थाओं का एक विश्व-व्यापी समुदाय होगा।
तुरन्त समर्थन के लिए निम्नांकित आवश्यकतायें होंगी : (I) अहिंसा के ज्ञान के लिए शोध, शिक्षा, आन्दोलन, नेतृत्व और विश्वभर में समस्यासमाधान के लिए किये गये प्रयत्नों की सूची (१) एक समस्यापत्र जो सूची के परिणामों का प्रचार और प्रसार करेगा। एक दूरगामी दृष्टि रखते हुए इस संस्था को एक पत्रिका, एक वार्षिक समीक्षा और ऐसा ही कोई अन्य प्रकाशन निकालना चाहिए जो समय-समय पर सेवा के विभिन्न लक्ष्यों को
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