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खादी और अहिंसा
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होने का मतलब है एक बहुत बड़े समूह में असंतोष, रोष और आक्रोश का जन्म होना, जिसका परिणाम एकमात्र हिंसा ही हो सकता है ।
विकेन्द्रित व्यवस्था में विकास का सबको समान अवसर मिलता है । सब-के-सब समान स्तर पर विकास कर सकें, यह वहां भी संभव नहीं होता । किन्तु समान अवसर की सुलभता से किसी के दिल में असंतोष या रोष जैसी स्थिति को उत्पन्न होने का मौका नहीं मिलता । हिंसा, अति-नियंत्रण, तनाव आदि को जिस व्यवस्था में अवकाश नहीं मिलता और समता तथा समानता को जिस व्यवस्था में पनपने का अवकाश मिलता है, यह अपने आपमें एक बड़ी आध्यात्मिक उपलब्धि है ।
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