Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अज्झयणं-१, उद्देसो
सुणित्ता तहमालोए जह आलोयंतो चेव उप्पए केवलं नाणं
[७५]
[६९] दिन्नेरिस-भावत्थेहिं नीसल्ला आलोयणा |
जेणालोयमाणाणं चेव उप्पन्नं तत्थेव केवलं ।। [७०] केसिं चि साहिमो नामे महासत्ताण गोयमा
जेहिं भावेणालोययंतेहिं केवलनाणम्प्पाइयं ।। [७१] हा हा ! दुट्ठ-कडे साहू हा हा ! दुइ विचिंतिरे ।
हा हा ! दुहु-भाणिरे साहू हा हा ! दुइमनुमते ।। [७२] संवेगालोयगे तह य भावालोयण-केवली ।
पय-खेव-केवली चेव मुहनंतग-केवली तहा ।। [७३] पच्छित्त-केवली सम्मं महा-वेरग्ग-केवली ।
आलोयणा केवली तह य हा ! हं पावि त्ति-केवली ।। [७४] उस्सुत्तुम्मग्ग-पन्नवए हा हा ! अनायार-केवली |
सावज्जं न करेमि त्ति अक्खंडिय-सील-केवली ।। तव-संजम-वय-संरक्खे निंदण-गरिहणे तहा । सव्वत्तो सील-संरक्खे कोडी-पच्छित्तए वि य ।। निप्परिकम्मे अकंडुयणे अनिमिसच्छी य केवली ।
एग-पासित्त दो पहरे मूणव्वय-केवली तहा ।। [७७] न सक्को काउ सामन्नं अनसने ठामि केवली ।
नवकार-केवली तह य निच्चालोयण-केवली ।। निसल्ल-केवली तह य सल्लुद्धरण-केवली । धन्नोमि त्ति सपण्णो स ता हं पी किं न ? केवली ।। ससल्लो हं न पारेमि चल-कट्ठ-पय-केवली ।
पक्ख-सुद्धाभिहाणे य चाउम्मासी य केवली ।। [८०] संवच्छर-मह-पच्छित्ते हा ! चल-जीविते तहा |
अनिच्चे खण-विद्धंसी मनुयत्ते केवली तहा ।। आलोय-निंद-वंदियए घोर-पच्छित्त-दुक्करे । लक्खोवसग्ग-पच्छित्ते सम-हियासण-केवली ।। हत्थोसरण-निवासे य अट्ठकवलासि केवली ।
एग-सित्थग-पच्छित्ते दस-वा से केवली तहा ।। [८३] पच्छित्ताढवगे चेव पच्छित्तद्ध-कय-केवली ।
पच्छित्त-परिसमत्ती य अट्ठ-स-उक्कोस-केवली ।। [८४] न सुद्धी वि न पच्छित्ता ता वरं खिप्प केवली ।
एग काऊण पच्छित्तं बीयं न भवे जह चेव केवली ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह
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