________________
दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन आठवाँ पर्युषणाकल्प अध्ययन सबसे बड़ा (६७ गाथा) है जबकि पाँचवें चित्तसमाधि में मात्र एक गाथा है।
छेदसूत्र दशाश्रुतस्कन्ध और दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति आदि के विषय में कतिपय ज्ञातव्य तथ्यों का उल्लेख करने के पश्चात् प्रस्तुत कृति दशाश्रुतस्कन्थनियुक्ति : एक अध्ययन का परिचय प्रस्तुत है। इसमें दो भाग हैं- प्रथम भाग में चार अध्याय
और उपसंहार है, दूसरे भाग में मूल प्राकृत गाथायें, उनकी संस्कृत छाया तथा हिन्दी अनुवाद है।
प्रथम अध्याय 'छेदसूत्रागम और दशाश्रुतस्कन्ध' में जैन आगम ग्रन्थों की सूची, छेदसूत्र के रूप में आगम वर्गीकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, 'छेद' शब्द का व्युत्पत्तिपरक अर्थ, छेदसूत्र की उत्कृष्टता, छेदसूत्र नामकरण का कारण, उनकी संख्या और सामान्य रूप से छेदसूत्रों की विषय-वस्तु का प्रतिपादन किया गया है। साथ ही छेदसूत्र दशाश्रुत का परिचय देते हुए इसकी रचना-प्रकृति, रचनाकार, रचनाकाल, विच्छेद तथा प्रतिपाद्य के सम्बन्ध में परिचय देते हुए विषय-वस्तु के महत्त्व तथा दसों दशाओं के पौर्वापर्य और परस्पर सामञ्जस्य पर प्रकाश डाला गया है।
इस अध्याय में ही दशाश्रुतस्कन्ध पर प्रणीत व्याख्या साहित्य, इसके प्रकाशित संस्करण तथा अष्टम दशा ‘पर्युषणाकल्प' अथवा कल्पसूत्र पर स्वतन्त्र रूप से प्रणीत व्याख्या साहित्य एवं स्वतन्त्र प्रकाशित संस्करणों का परिचय दिया गया है।
द्वितीय अध्याय 'नियुक्ति संरचना और दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति' में नियुक्ति के चार प्रमुख घटकों- निक्षेप, एकार्थ, निरुक्त और दृष्टान्त के स्वरूप का उल्लेख करते हुए इसके प्रमुख घटक निक्षेप के भेद-प्रभेदों पर प्रकाश डाला गया है। श्वेताम्बर परम्परा के अनुयोगद्वार और दिगम्बर परम्परा के षट्खण्डागम में निक्षेप के भेद-प्रभेदों का सम्भवत: सर्वाधिक विस्तार से उल्लेख है। अत: इन दोनों ग्रन्थों को आधार बनाकर तुलनात्मक वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया है। घटकों की दृष्टि से दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति की संरचना पर प्रकाश डालने के पश्चात् इसके विषय-वस्तु का संक्षिप्त विवरण इसके अध्ययनों के क्रम से दिया गया है।
तृतीय अध्याय 'छन्द-दृष्टि से दशाश्रुतस्कन्यनियुक्ति : पाठ-निर्धारण' में इसकी गाथा संख्या के सन्दर्भ में प्राप्त मतभेदों की समीक्षा की गयी है। आठवें पर्युषणाकल्प अध्ययन की ६७ गाथाओं के स्थान पर निशीथसूत्रभाष्य में 'इमा णिज्जुत्ती' कहकर उद्धृत इस अध्ययन की ७२ गाथाओं की प्राप्ति के सन्दर्भ में विवेचन किया गया है। पाठ-निर्धारण के क्रम में इस नियुक्ति की गाथाओं का छन्द