Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
२२ ]
[ निरयावलिकासूत्र
अहं सेणियस्स रनो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रज्जसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तं सेयं खलु मम सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महया महया रायाभिसेएणं अमिसिञ्चावितए' त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता सेणियस्स रन्नो अन्तराणि य छिड्डाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणे विहरइ ।
तणं से कूणिए कुमारे सेणियस्स रन्नो अन्तरं वा (जाव ) मम्मं वा अलभमाणं अन्नया कयाइ कालाईए दस कुमारे नियघरे सद्दावेई, सद्दावेत्ता एवं वयासी 'एवं खलु देवाणुप्पिया, अम्हे सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रज्जसिरिं करेमाणा पालेमाण विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता रज्जं च रठ्ठे च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च जणवयं च एक्कारसभाए विरिञ्चित्ता सयमेय रज्जसिरिं करेमाणाणं पालेमाणाणं (जाव) विहरित्तए । '
१८. तत्पश्चात् उस कुमार कूणिक को किसी समय मध्य रात्रि में यावत् ऐसा विचार आया कि श्रेणिक राजा के विघ्न के कारण मैं स्वयं राज्य शासन और राज्य वैभव का उपभोग नहीं कर पाता हूँ, अतएव श्रेणिक राजा को बेड़ी में डाल देना ( कारागार में बंद कर देना) और महान् राज्याभिषेक से अपना अभिषेक कर लेना मेरे लिये श्रेयस्कर लाभदायक होगा । उसने इस प्रकार का संकल्प किया और संकल्प करके श्रेणिक राजा के अन्तर ( अवसर मौका) छिद्र (दोष) और विरह (एकान्त) की ताक में रहता हुआ समय यापन करने लगा ।
-
-
तत्पश्चात् श्रेणिक राजा के अवसरों यावत् मर्मों को जान न सकने के कारण अर्थात् अवसर न पाकर कूणिक कुमार ने एक दिन काल आदि दस राजकुमारों को ( अपने भाइयों को) अपने घर आमंत्रित किया और आमंत्रित करके उनको अपने विचार बताये हे देवानुप्रियो ! श्रेणिक राजा के कारण हम स्वयं राजश्री का उपभोग और राज्य का पालन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिये हे देवानुप्रियो! हमारे लिये श्रेयस्कर यह होगा कि श्रेणिक राजा को बेड़ी में डालकर और राज्य, राष्ट्र, बल, वाहन, कोष, धान्य भंडार और जनपद को ग्यारह भागों में बांटकर के हमलोग स्वयं राजश्री का उपभोग करें और राज्य का पालन करें।
-
काल आदि द्वारा स्वीकृति
१९. तए णं ते कालाईया दस कुमारा कूणियस्स कुमारस्स एयमट्ठं विणएणं पडिसुणंति । तए णं सेकूणिए कुमारे अन्नया कयाइ सेणियस्स रन्नो अन्तरं जाणइ, जाणित्ता सेणियं रायं नियलबंधण करेइ, करित्ता अप्पाणं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिञ्चावे । तए णं से कूणिए कुमारे राया जाए महया महया (०) ।
१९. कूणिक का कथन सुनकर उन काल आदि दस राजपुत्रों ने उसके इस विचार को विनयपूर्वक स्वीकार किया। उसके बाद कूणिक कुमार ने किसी समय श्रेणिक राजा के अन्दरूनी रहस्यों को जाना और जानकर श्रेणिक राजा को बेड़ी से बांध दिया। बांधकर महान राज्याभिषेक से