Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ ३१
वर्ग १ : प्रथम अध्ययन ]
आवे जह चेव णं कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते, चेल्लणाए देवीए अत्तए, मम नत्तुए, तं चैव भाणियव्वं जाव, वेहल्लं च कुमारं पेसेमि । तं न देइ णं सामी, चेडए राया सेयणगं अट्ठारसवंकं हारं च, वेहल्लं च नो पेसेइ । '
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'गच्छइ णं तुमं, देवाणुप्पिया !
तणं से कूणि राया दोच्चं पि दूयं सद्दावेत्ता उवं वयासी वेसालिं नयरिं । तत्थ णं तुमं मम अज्जगं चेडगं रायं जाव एवं वयाही एवं खलु, सामी, कूणि या निवे 'जाणि काणि रयणाणि समुप्पज्जंति, सव्वाणि ताणि रायकुलगामिणी । सेणियस्स रन्नो रज्जसिरिं करेमाणस्स पालेमाणस्स दुवे रयणा समुप्पन्ना, तं जहा सेय गंधहत्थी अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रन्नो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं पेसेह । ' तणं से दूए कूणियस्स रन्नो, तहेव जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी कूणिए राया विन्नवेइ - जाणि काणि, वेहल्लं कुमारं पेसेह ।'
'एवं खलु सामी,
तणं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासी 'जइ चेव णं देवाणुप्पिया, कूणिए राया सेणियस्स रनो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए, जहा पढमं (जाव) वेहल्लं च कुमारं पेसेमि।' तं दूयं सक्कारेइ संमाणे पडिविसज्जेइ ।
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तणं से दूए (जाव) कूणियस्स रन्नो वद्धावेत्ता एवं वयासी – 'चेडए राया आणवेइ जह चेव णं, देवाणुप्पिया! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए, (जाव ) वेल्लं कुमारं नो पेंसेइ । '
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२६. दूत का निवेदन सुनने के पश्चात् चेटक राजा ने दूत से इस प्रकार कहा 'देवानुप्रिय ! जैसे कूणिक राजा श्रेणिक राजा का पुत्र और चेलना देवी का अंगज तथा मेरा दौहित्र है । वैसे ही वेहल्ल कुमार भी श्रेणिक राजा का पुत्र, चेलना देवी का अंगज और मेरा दौहित्र है। श्रेणिक राजा ने अपने जीवन काल में ही वेहल्ल कुमार को सेचनक गंधहस्ती और अठारह लड़ों का हार दिया था । इसलिये यदि कूणिक राजा वेहल्ल कुमार को राज्य और जनपद का आधा भाग दे तो मैं सेचनक गंधहस्ती और अठारह लड़ों का हार कूणिक राजा को लौटा दूंगा तथा वेहल्ल कुमार को भेज दूंगा।' तत्पश्चात् अर्थात् इस प्रकार का उत्तर देकर उस दूत को सत्कार - सम्मान करके विदा करं
दिया ।
इस के बाद चेटक राजा द्वारा विदा किया गया वह दूत जहाँ चार घंटों वाला अश्व - रथ था, वहाँ आया। आकर उस चार घंटों वाले अश्व - रथ पर आरूढ हुआ । वैशाली नगरी के बीच से निकला। निकलकर साताकारी वसतिकाओं में विश्राम करता हुआ प्रातः कलेवा करता हुआ (यथा समय चम्पा नगरी में पहुँचा । पहुँचकर ) यावत् ( कूणिक राजा के समक्ष उपस्थित हुआ और उसे ) बधाकर इस प्रकार निवेदन किया स्वामिन्! चेटक राजा ने फरमाया है जैसे श्रेणिक राजा का पुत्र और चेलना देवी का अंगज कूणिक राजा मेरा दोहिता है, वैसे ही वेहल्ल कुमार भी है, इत्यादि । यहाँ चेटक का पूर्वोक्त कथन सब कहना चाहिये। इसलिये हे स्वामिन्! चेटक राजा ने सेचनक