Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय से दशम अध्ययन ५. एवं सेसावि अट्ठ नेयव्वा। मायाओ सरिसनामाओ। कालाईणं दसण्हं पुत्ता अणुपुव्वीए
दोण्हं च पञ्च चत्तारि तिण्हं तिण्हं च होंति तिण्णे व।
दोण्हं च दोन्नि वासा सेणियनत्तूण परियाओ ॥१॥ उववओ आणुपुव्वीए – पढमो सोहम्मे, बीओ ईसाणे, तइओ सणंकुमारे, चउत्थो माहिन्दे, पञ्चमो बम्भलोए, छट्ठो लंतए, सत्तमो महासुक्के, अट्ठमो सहस्सारे, नवमो पाणए, दसमो अच्चुए। सव्वत्थ उक्कोसट्ठिई भाणियव्वा। महाविदेहे सिद्धे।
॥ कप्पवडिंसियाओ समत्ताओ ॥
॥ बीओ वग्गो समत्तो ॥ ५. इसी प्रकार शेष आठों ही अध्ययनों का वर्णन जान लेना चाहिये। माताएँ सदृश नामवाली हैं अर्थात् पुत्रों के समान ही उनके नाम हैं, जैसे - भद्र कुमार की माता भद्रा, सुभद्र कुमार की माता सुभद्रा आदि। अनुक्रम से कालादि दसों कुमारों के पुत्र थे। दसों की दीक्षा पर्याय इस प्रकार थी -
. पद्म और महापद्म अनगार की पाँच-पाँच वर्ष की, भ्द्र, सुभद्र और पद्मभद्र की चार-चार वर्ष पद्मसेन, पद्मगुल्म और नलिनगुल्म की तीन-तीन वर्ष की तथा आनन्द और नन्दन की दीक्षा पर्याय दोदो वर्ष की थी। ये सभी श्रेणिक राजा के पौत्र थे।
अनुक्रम से इनका जन्म हुआ। देहत्याग के पश्चात् प्रथम का सौधर्म कल्प में, द्वितीय का ईशान कल्प में, तृतीय का सनत्कुमार कल्प में, चतुर्थ का माहेन्द्र कल्प में, पंचम का ब्रह्म- लोक में, षष्ठ का लान्तक कल्प में, सप्तम का महाशुक्र में, अष्टम का सहस्रार कल्प में, नवम का प्राणतकल्प में और दशम का अच्युत कल्प में देव रूप में जन्म हुआ। सभी की स्थिति उत्कृष्ट कहनी चाहिये। ये सभी स्वर्ग से च्यवन करके महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध होंगे।
॥ कल्पावतंसिका समाप्त ॥
॥ द्वितीय वर्ग समाप्त ॥