Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
वर्ग ३ : षष्ठ अध्ययन ]
उस काल और उस समय मणिपदिका नाम की नगरी थी। उसमें मणिभद्र नाम का गाथापति रहता था। उसने स्थविरों के समीप प्रव्रज्या अंगीकार की। प्रव्रज्या अंगीकार करके ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। बहुत वर्षों तक श्रामण्यपर्याय का पालन किया और मासिक संलेखना की। अनशन द्वारा साठ भोजनों का छेदन कर (त्याग कर) पापस्थानों का आलोचन-प्रतिक्रमण करके मरण का अवसर प्राप्त होने पर समाधिपूर्वक मरण करके माणिभद्र विमान में उत्पन्न हुआ। वहाँ उसकी दो सागरोपम की स्थिति है। अन्त में उस देवलोक से च्यवन करके महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा और सर्व दुःखों का अन्त करेगा।
६२. निक्षेप - तं एवं खलु जम्बू! समणेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणं छट्ठस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि।
६२. सुधर्मा स्वामी ने कहा - आयुष्मन् जम्बू! श्रमण यावत् महावीर भगवान् ने पुष्पिका के छई अध्ययन का यह भाव प्रतिपादित किया है, ऐसा मैं कहता हूँ।
॥छठा अध्ययन समाप्त॥