Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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वर्ग ३ : पंचम अध्ययन ]
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बहुत वर्षों तक श्रामण्यपर्याय का पालन किया। पालन करके मासिक संलेखनापूर्वक साठ भोजनों का अनशन द्वारा छेदन कर आलोचना-प्रतिक्रमणपूर्वक समाधि प्राप्त कर मरणकाल आने पर काल करके सौधर्म कल्प के पूर्णभद्र विमान की उपपातसभा में देवशैया पर देव रूप से उत्पन्न हुआ। यावत् भाषामन पर्याप्ति से पर्याप्त भाव को प्राप्त किया।
इस प्रकार से हे गौतम! पूर्णभद्र देव ने वह दिव्य देव-ऋद्धि प्राप्त यावत् अधिगत की है। भदन्त ! पूर्णभद्र देव की कितने काल की स्थिति बताई है? गौतम स्वामी ने भगवान् से पूछा। भगवान् ने उत्तर दिया - 'गौतम! उसकी दो सागरोपम की स्थिति है।'
गौतम ने पुनः पूछा – 'भगवन् वह पूर्णभद्र देव उस देवलोक से च्यवन करके कहाँ जाएगा ? कहाँ उत्पन्न होगा ?'
भगवान् ने कहा – 'गौतम! महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर सिद्ध होगा यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा।'
५९. निक्खेवओ - तं एवं खलु जम्बू! समणेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि।
५९. आयुष्मन् जम्बू! श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त भगवान् ने पुष्पिका उपांग के पांचवें अध्ययन का यह निरूपण किया है, ऐसा मैं कहता हूँ।
॥ पंचम अध्ययन समाप्त।
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