Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 159
________________ ११६ ] [वह्निदशा ग्रन्थ की अंतिम प्रशस्ति २१. निरयावलियासुयखंधो समत्तो। समत्ताणि उवाणि। निरयावलियोउवङ्गेणं एगो सुयखंधो, पञ्च वग्गो पञ्चसु दिवसेसु उहिस्संति। तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्देसगा, पञ्चमवग्गे बारस उद्देसगा। ॥निरयावलियासुत्तं समत्तं॥ २१. निरयावलिका नामक श्रुतस्कंध समाप्त हुआ। इसके साथ ही (पांच) उपांगों का वर्णन भी पूर्ण हुआ। निरयावलिका उपांग में एक श्रुतस्कंध है। उसके पांच वर्ग हैं, जिनका पांच दिनों में निरूपण किया जाता है। आदि के चार वर्गों में दस-दस उद्देशक हैं और पांचवें वर्ग में बारह उद्देशक हैं। ॥ निरयावलिका सूत्र समाप्त॥ 00

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