Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 170
________________ [ १२७ परिशिष्ट - १ ] अर्थात् उन्हें दासीपन से मुक्त किया। उन्हें जीवन निर्वाह के योग्य विपुल प्रीतिदान देकर सत्कारित - सम्मानित कर विदा किया। १८. तणं से बले राया कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी - 'खिप्पामेव, भो देवाणुप्पिया! हत्थिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढणं करेह, करेत्ता हत्थिणापुरं नगरं सब्भिन्तरबाहिरियं आसियसंमज्जिओवलित्तं जाव करेह कारवेह, जूयसहस्सं वा चक्कसहस्सं वा पूयामहामहिमसक्कारं वा उस्सवेह, उस्सवेहित्ता ममेयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए कोडुम्बियरिसा बलेणं रन्ना एवं वुत्ता जाव पच्चष्पिणन्ति । तणं से बले राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, तं चेव जाव मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ । उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठ अदिज्जं अभिज्जं अभडप्पवेसं अदण्डकोदण्डिम अधरिमं गणियावरनाडइज्जकलियं अणगतालाचराणुचरियं अणुद्धयमुङ्गं अभिलायमल्लादामं पमुइयपक्कीलियं सपुरजणजाणवयं दसदिवसे ठिइवडियं करे । तए णं ते बले राया दसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावमाणे य, सए य साहस्सिए य लम्भमाणे पडिच्छेमाणे पडिच्छावेमाणे एवं विहर । १८. तत्पश्चात् बल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और बुलाकर उनको यह आज्ञा दी - देवानुप्रियो ! हस्तिनापुर नगर में कारागृह से बंदियों को मुक्त करो और मान- उन्मान ( मापतोल) की वृद्धि करो । हस्तिनापुर नगर को भीतर और बाहर छिड़काव कर, बुहारकर, साफ-स्वच्छ करो और करवाओ। पूजा महिमा और सत्कार के लिये यूप सहस्रों और चक्र सहस्रों को सजाओ और मुझे कार्य होने की सूचना दो । तब उन कौटुम्बिक पुरुषों ने बल राजा के इस आदेश को सुनकर हर्षित हो यावत् वापस कार्य पूर्ण होने की सूचना दी। तत्पश्चात् बल राजा व्यायामशाला में आया इत्यादि पूर्ववत् स्नानगृह से निकला । फिर दस दिन तक निःशुल्क (मूल्य कर लेना) कर मुक्त, क्रय-विक्रय, मान-उन्मान का वर्द्धन, ऋण मुक्त धरना देने का निषेध, घर में सुभटों का प्रवेश निषेध कर तथा अनेक गणिकाओं के नृत्य-गान और अनेक तालानुचरों द्वारा निरन्तर बजाए जा रहे मृदंगों के साथ अम्लान मालाओं द्वारा नगर को विभूषित करते हुए नगरवासी और देशवासी जनों सहित स्थितिपतिका महोत्सव - पुत्रजन्मोत्सव मनाया । इस दस दिवसीय पुत्र - जन्मोत्सव में बल राजा ने सैकड़ों-हजारों-लाखों रुपये व्यय करते हुए, देते हुए, दिलवाते हुए एवं इसी प्रकार सैकड़ों हजारों और लाखों रुपयों की भेंट उपहार में लेते और देते हुए समय व्यतीत किया । १९. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेइ, तइण दिवसे

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