Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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वर्ग ३ : चतुर्थ अध्ययन ]
[ ८३ गौतम स्वामी - 'भदन्त! बहुपुत्रिका देवी की स्थिति कितने काल की है ?' भगवन् - 'गौतम! बहुपुत्रिका देवी की स्थिति चार पल्योपम की है।'
गौतम - 'भगवन्! आयुक्षय, भवक्षय और स्थितिक्षय होने के अनन्तर बहुपुत्रिका देवी उस देवलोक से च्यवन करके कहाँ जायेगी ? कहाँ उत्पन्न होगी ?'
भगवान् – 'गौतम ! आयुक्षय आदि के अनन्तर बहुपुत्रिका देवी इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में विन्ध्य-पर्वत की तलहटी में बसे विभेल सन्निवेश में ब्राह्मणकुल में बालिका रूप में उत्पन्न होगी। उस बालिका के माता-पिता ग्यारह दिन बीतने पर यावत् बारहवें दिन इस प्रकार का नामकरण करेंगे - हमारी इस बालिका का नाम सोमा हो, अर्थात् वे अपनी बालिका का नाम सोमा रखेंगे।' सोमा की युवावस्था
४६. तए णं सोमा उम्मुक्कबालभावा विनयपरिणयमेत्ता जोव्वणगमणुपत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाव भविस्सइ।
तए णं तं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं विनयपरिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिकूविएणं सुक्केणं पडिरूवएणं नियगस्स भाइणेजस्स रट्ठकूडस्स भारियत्ताए दलइस्सइ।
सा णं तस्स भारिया भविस्सइ इट्ठा कन्ता जाव भण्डकरण्डगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपेडा इव सुसंपरिहिया रयणकरण्डगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया, मा णं सीयं (जाव) उण्हं वाइया पित्तिया सम्भिया संन्निवाइया विविहा रोयातङ्का फुसन्तु।
४६. तत्पश्चात् वह सोमा बाल्यावस्था से मुक्त होकर, सज्ञानदशापन्न होकर युवावस्था आने पर रूप, यौवन एवं लावण्य से अत्यन्त उत्तम एवं उत्कृष्ट शरीर वाली हो जायेगी।
तब माता-पिता उस सोमा बालिका को बाल्यावस्था को पार कर विषय-सुख से अभिज्ञ एवं यौवनावस्था में प्रविष्ट जान कर यथायोग्य गृहस्थोपयोगी उपकरणों, धन-आभूषणों और संपत्ति के साथ अपने भानजे राष्ट्रकूट को भार्या के रूप में देंगे अर्थात् राष्ट्रकूट से उसका विवाह कर देंगे।
वह सोमा उस राष्ट्रकूट की इष्ट, कान्त (वल्लभा) भार्या होगी यावत् वह सोमा की भाण्डकरण्डक (आभूषणों की पेटी) के समान, तेलकेल्ला (तैलपात्र या इत्रदान) के समान यत्नपूर्वक सुरक्षा करेगा, वस्रों के पिटारे के समान उसकी भलीभांति देखभाल करेगा, रत्नकरण्डक के समान उसकी सुरक्षा का ध्यान रखेगा और उसको शीत, उष्ण, वात, पित्त, कफ एवं सन्निपातजन्य रोग और आतंक स्पर्श न कर सकें, इस प्रकार से सर्वदा चेष्टा करता रहेगा। सोमा द्वारा बहुसंतान-प्रसव
४७. तए णं सोमा माहणी रट्टकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणी संवच्छरे संवच्छरे जुयलगं पयायमाणी, सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाइ। तए णं सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारगेहिं य दारियाहि य कुमारेहि य कुमारियाहि य डिम्भएहि य डिम्भियाहि य