Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ निरयावलिकासूत्र
गार्हस्थिक उपकरणों के साथ राजगृह से निकला और जहाँ चंपानगरी थी, वहां आया। (अर्थात् उसने राजगृह नगर का परित्याग कर दिया और चंपानगरी को अपनी राजधानी बनाया।) वहां परम्परागत भोगों को भोगते हुए कुछ समय के बाद शोक-संताप से रहित हो गया अथवा उसका शोक कम हो गया।
तत्पश्चात् उस कूणिक राजा ने किसी दिन काल आदि दस राजकुमारों को बुलाया - आमंत्रित किया और राज्य, राष्ट्र बल-सेना, वाहन-रथ आदि, कोश, धन-संपत्ति, धान्य-भंडार, अंत:पुर और जनपद-देश के ग्यारह भाग किये। भाग करके वे सभी स्वयं अपनी-अपनी राजश्री का भोग करते हुए प्रजा का पालन करते हुए समय व्यतीत करने लगे। कुमार वेहल्ल की क्रीड़ा
२२. तत्थ णं चम्पाए नगरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कुणियस्स रन्नो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले नाम कुमारे होत्था - सोमाले (जाव) सुरूवे।
तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रन्ना जीवंतएणं चेव सेयणाए गंधहत्थी अट्ठारसवंके हारे पुव्वदिन्ने।
तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणंगंधहत्थिणा अन्तेउरपरियालसंपरिवुडे चम्पं नयरिं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता अभिक्खणं अभिक्खणं गङ्गं महाणइं मजणयं ओयरइ। तए णं सेयणए गंधहत्थी देवीओ सोण्डाए गिण्हइ, गिण्हित्ता अप्पेगइयाओ पुटु ठवेइ, अप्पेगइयाओ खन्धे ठवेइ, एवं कुम्भे ठवेइ, सीसे ठवेइ, दन्तमुसले ठवेइ, अप्पेगइयाओ सोण्डागयाओ अन्दोलावेइ, अप्पेगइयाओ दन्तन्तरेसु नीणेइ, अप्पेगइयाओ सीभरेणं ण्हाणेइ, अप्पेगइयाओ अणेगेहिं कीलावणेहिं कीलावेइ।
मए णं चम्पाए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-महापह-पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ, जाव एवं भासेइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ – ‘एवं खलु, देवाणुप्पिया, वेहल्ले कुमारे सेयणएण गंधहत्थिणा अंतेउर०(०) तं चेव जाव, अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेइ। तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पच्चणुभवमाणे विहरइ, नो कुणिए राया।'
२२. उस चम्पानगरी में श्रेणिक राजा का पुत्र, चेलना देवी का अंगज कूणिक राजा का कनिष्ठ सहोदर भ्राता वेहल्ल नामक राजकुमार था। वह सुकुमार यावत् रूप-सौन्दर्यशाली था।
अपने जीवित रहते श्रेणिक राजा ने पहले ही वेहल्ल कुमार को सेचनक नामक गंधहस्ती और अठारह लड़ों का हार दिया था।
वह वेहल्ल कुमार अंत:पुर परिवार के साथ सेचनक गंधहस्ती पर आरूढ़ हो कर चम्पानगरी के बीचोंबीच हो कर निकलता और निकल कर स्नान करने के लिये बारम्बार गंगा महानदी में उतरता। उस समय वह सेचनक गंधहस्ती रानियों को सूंड से पकड़ता, पकड़ कर किसी को पीठ पर