Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंबुद्दीव पन्नती-१/१४ पुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे जाव पडिलये से णं एगाए पउमवावेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिखित्ते पपाणं वत्रओ दोहंपि सिद्धायतणकूडस्स णं उर्पि बहुसमरमणि भूमिमागे पत्रत्ते से जहानामए-आलिंगपुक्खरेइ वा जाय वाणमंतरा देवा य जाव विहरंति तस्स णं बहुसमरमणिमस्स भूमिभागस्स बहुसज्झदेसमागे एत्य णं महं एगे सिद्धायतणे कोसं आयामेणं अद्धकोसं विखंघेणं देसूर्ण कोसं उड्ढे उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसत्रिविद्वे खंभुग्गयसुकयवइरवेयातोरण वररइसालभंजिय-सुसिलिट्ठविसिट्ठ-लट्ठ-संठिय-पसत्यवेरुलियविमलखंभे नाणामणिरयणखचिय-उनलबहुसमसुविभत्तभूमिमागे ईहामिग-उसभ तुरग नर-मगरविहग-यालग-किन्नर-रूरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्ते कंचणमणिायणथभियाए नानाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिहरे धवले मरीइकवयं विणिमुयंते लाउल्लोइयमहिएजावाया तस्सणं सिद्धायतणस्स तिदिसिं तओदारा पन्नत्ता तेणं दारापंच धणुसयाई उड्ढे उत्तेणं अड्ढाइनाइं धणुसयाई विक्खभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा दारवण्णओ जाव वणमाला तस्स णं सिद्धायतणस अंतो बहुसपरसणिजे भूमिभागे पत्रत्ते से जहानापए-आलिंगपुक्खरेइ वा जाव- तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुसमरमणिनस्स भूमिभागस्स बहुमन्झदेसमाए एत्य णं मह एगे देवच्छंदए पत्रत्ते-पंचधणुसयाइंआयामविक्खंभेणंसाइरेगाइपंचघणुसयाइं उड्ढे उद्यत्तेणं सब्बरयणामए एत्य णं अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाण मेत्ताणं संनिक्खित्ता चिट्ठाइएवंजावधूवकडुच्छुगा।१३।-13 (१५) कहि णं भंते वैयड्ढपव्यए दाहिणड्ढभरहकूड़े नामं कूड़े पन्नत्ते गोपमा खंडप्पवायकूहस्स पुरस्थिमेणं सिद्धायतणकूडस्स पञ्चस्थिमेणं एत्य णं वेयड्ढपब्बए दाहिणड्ढभरहकूड़े नाम कूडे पन्नत्ते सिद्धायतणकूडप्पमाणसरिसे जाव-तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं महं एगे पासायदडेंसए पत्रत्ते कोसं उड्ढं उच्चत्तेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं अभुग्गयसमूसियपहसिए जाय पासाईए दरिसणिजे अभिलवे पडिसवे तस्स णं पासायवडेंसगस्स बहुमझदेसमाए एत्य णं महं एगा मणिपेढिया पनत्ता-पंच धणुसयाई आयामविखंभेणं अदाइजाहिं धणुसणं सपरिवारं भाणियव्वं से केणटेणं भंते एवं बुचइ० गोयमा दाहिणड्ढभरहकूड़े णं दाहिणड्ढमरहे नामं देवे महिड्ढीए जाव पलिओवपट्ठीईए परिवसए से गं तत्य चउण्डं सामाणियसाहस्सीणं चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्डं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहियईणं सोलसण्हं आयरक्खदेव-साहसीणं दाहिणाड्ढभरहकूडस्स दाहिणड्ढाए रायहाणीए अण्णेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य जाय विहरइ कहिणं भंते दाहिणाड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्दा नामं रायहाणी गोयमा मंदरस्स पव्यतस्स दक्षिणेणं तिरियमसंखेजदीवसमुद्दे वीईवइता अणं जंबुद्दीवं दीवं दक्खिणेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्दभरहा नाम रायहाणीजहा विजयस्स देवस्स एवं सव्वकूड़ा नेयव्याजाव वैसमणकूडे परोप्परं पुरस्थिम-पञ्चस्थिमेणं इमेसि यण्णावासे1१४-१1-14-1 (१६) मझे वेयड्ढस्स उ कणयमया तिण्णि होति कूडाउ सेसा पव्ययकूडा सव्ये रयणामया होति (१७) जण्णामया यकूडातन्त्रामा खलु हवंति ते देव पलिओवपट्टिईया हयति पतेयं पत्तेयं |1३11-2 ||२||-1 For Private And Personal Use Only

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