Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पक्षारोपरिवसइ से एएणद्वेणं गोयमा एवं बुच्चइ-महापउमद्दहे महापउमद्दहे अदुतरं च णं गोयमा महापउमद्दहस्स सासए नामधेने पन्नत्ते-जंन कयाइ नासी न कयाइ नत्थिन कयाइन मविस्सइ मुविं च पवइ य मविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्यए अयडिएनिचे तस्स णं महापउभइहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणं रोहिया महानई पवूढा समाणी सोलसं पंचुत्तरे जोयणसए पंच य एगूणवीसइमाए जोयणस्स दाहिणाभिमुही पन्बएणं गंता महया धडमुहवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजयणसइएणं पवाएणं पवडइरोहिया णं महानई जओ पवडइ एत्यणं महंएगा जिब्मिया पन्नत्ता सा णं जिब्भिया जोयणं आयामेणं अद्धतेरसजोयणाई विखंभेणं कोसं खाहल्लेणं मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा रोहिया णं महानई जहिं पवडा एत्य णं महं एगे रोहियप्पयायकुंडे नाम कुंडे पन्नते-सवीसंजोयणसयं आयाम-विक्खंमेणं तिणि असीएजोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खवेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छे सण्हे सो चेव वण्णओ वइरतले वट्टे समतीरे जाव तोरणा तस्स णं रोहियप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एस्थ णं महं एगे रोहियदीवे नामं दीदे पन्नत्ते-सोलस जोयणाई आयाम-विक्खंभेणं साइोगाई पत्रासं जोयणाई परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसए जलंताओ सब्बवइरामए अच्छे से णं एगाए पउमरवेइयाए एगेणं य वणसंडेणं सवओ सपंता संपरिक्खित्ते रोहियदीवस्स णं दीवस्स उप्पिं यहुसमरमणिग्ने भूपीमागे पत्रत्ते तस्स णं बहुमसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं महं एगे भवणे पन्नत्ते-कोसं आयामेणं सेसं तं चेव पमाणं च अट्ठो य भाणियन्वो तस्स णं रोहियप्पवायकुंडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिया महानई पवूढा सपाणी हेमवयं वासं एजेमाणी-एज्जेमाणी सद्दावइ वट्टवेयड्ढपव्वयं अद्धजोयणेणं असंपत्ता पुरत्याभिमुही आवत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी-विभयमाणी अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरत्यिमेणंलयणसमुदं समप्पेइरोहियाणं पवहे अद्धतेरसजोयणाई [वक्खंभेणं कोसं उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए-मायाए परिवड्ढमाणीपरिवड्ढपाणी मुहमूले पणयीसं जोयणसयं विक्खंभेणं अड्ढाइलाई जोयणाई उव्येहेणं उमओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता तस्स णं महापउमद्दहस्स उत्तरिलेणं तोरणेणं हरिकंता महानई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तपरे जोपणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुही पब्बएणं गंता महया धडमुहपवित्तएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदुजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ हरिकता महानई जओ पवडइ एत्य णं महं एगा जिब्भिया पत्रता-दो जोयणाई आयामेणं पणवीसंजोयणाई विक्खंघेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं मगरमुहविउट्ट संठाणंसठिया सव्वरयणामई अच्छा हरिकंता णं महानई जहिं पवडइ एत्य णं महं एगे हरिकतप्पवायकुंडे जोयणसए परिक्खेवेणं अच्छे एवं कुंडवत्तवया सव्वा नेयव्वा जाव तोरणा तस्स णं हरिकंतप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं महं एगे हरिकतंदीये नाम दीवे पत्रत्ते बत्तीसं जोयणाई आयाम-विक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं परिक्खेयेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सव्वरयणामे अच्छे से णंएगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सबओसमंता संपरिक्खित्ते वण्णओ भाणियब्दो पमाणं च सयणिज्जं च अट्ठो य माणियव्यो तस्स णं हरि-कंतप्पवायकुंडस्स उत्तरिलेणं तोरणेणं हरिकंता महानई पवूढा सपाणी हरिवास वासं एओमाणी-एग्जेमाणी वियडावई वट्टवेयड्द जोयणेणं असंपत्ता पचचत्वाभिमुही आयत्ता समाणी हरियासं दुहा विभयमाणी-विभमयमाणी छप्पण्णाए सलिलासहस्सेहिंसमग्गा अहे जगइदालइत्तपञ्चत्यिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ हरिकंता णं For Private And Personal Use Only

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