Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अंबुद्दीव पन्नत्ती-४/101
णं महाविदेहे वासे नलिणकूडे नामं वखारपब्बए पन्नत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिपणे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति नलिणकूडे णं मंते कति कूडा पन्नत्ता गोयमा चत्तारि कडा पन्नत्ता तं जहा-सिद्धायतणकूडे नलिणकूडे आवत्तकूड़े मंगलावत्तकूड़े एए कूड़ा पंचसइया रायहाणीओ उत्तरेणं, कहिणमंते महाविदेहे वासे पंगलावते नामविजए पन्नत्ते गोयपानीलवंतस्स दक्खिणेणं सीयाए उत्तरेणं नलिणकूडस्स पुरत्यिमेण पंकावईए पचत्थिमेणं एत्थणं मंगलायत्ते नाम विजए पत्रत्ते जहा कच्छविजए तहा एसो वि माणियव्यो माय मंगलावतेय इत्य देवा परिवसइ से एएणडेणं कहिणंभंते महाविदेहे वासे पंकावईकुंडे नाम कुंडे पत्रत्ते गोयमामंगलावत्तस्सपुरस्थिमेणं पुक्खलविजयस्स पञ्चस्थिमेणं नीलवंतस्स दाहिणे नितंब एत्य णं पंकावइकुंडे नामं कुंडे पन्नत्तेतंचेव गाहायइकुंडप्पमाणंजाव मंगलावत्त-पुक्खलविजए दुहा विभयमाणी-विभयमाणी अवसेसं तं चेव गाहावईए, कहि णं मंते महाविदेहे वासे पुक्खले नामं विजए पन्नत्ते गोयमा नीलवंतस्स दाहिणेणं सीयए उत्तरेणं पंफावईए पुरत्यिमेणं एगसेलस्स वक्खारपव्ययस्स पचत्यिमेणं एत्य णं पुक्खले नामं विजए पत्रत्ते जहा कच्छविजए तहा भाणियव्वं जाव पुक्खले य इत्य देवे महिड्डीए पलि
ओवमट्ठिईए परिवसइ से एएणद्वेणं कहि णमंते महाविदेहे वासे एगसेले नामं वक्खारपब्बए पत्रत्ते गोयमा पुक्खलचक्कवट्टिविजयस्स पुरथिमेणं पोक्खलावतीचक्कवट्टिविजयस्स पच्चस्थिमेणं नीलवंतस्स दक्खिणेणं सीयाए उत्तरेणं एत्य णं एगसेले नामं वक्खारपव्यए पन्नत्ते चित्तकूडगमेणं नेयब्यो जाव देवा आसयंति चत्तारि कूड़ा तं जहा-सिद्धाययणकूडे एगसेलकूडे पुक्खलकूड़े पक्खलाबईकडे कडाणं तं चेव पंचसइयं परिमाणं जाय एगसेले य देवे महिड्ढीए कहि णं भंते महाविदेहे वासे पुक्खलावई नामं चक्कवट्टिरिजए पन्नत्ते गोयमा नीलवंतस्स दक्खिणेणं सीयाए उत्तरेणं उत्तरिल्लस्स सीयामुहवनस्स पचत्यिमेणं एगसेलस्स वखारपव्ययस्स पुरत्यिमेणं एस्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई नारं विजए पन्नत्ते-उत्तरदाहिणायए एवं जहा कच्छविजयस्स जाव पुक्खलावई य इत्य देवे परिवसइ से एएणटेणं, कहि णं मंते महाविदेहे वासे सीयाए महानईए उत्तरिल्ले सीयामुहवणे नापं वणे प० नीलवंतस्स दक्खिणेणं सीयाए उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुहस्स पञ्चत्यिमेणं पुक्खलावइचक्कवट्टिविजयस्स पुरथिमेणं एत्य णं सीयामुहवणे नामं वणे उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणाविच्छिपणे सोलसजोयणसहस्साई पंच य बाणउए जोयणसए दोणि य एगणवीसइभाए जोयणस्स आयाणं सीयामहानइंतेणं दो जोयणसहस्साई नव य बावीसे जोयणसए विक्खंभेणं तयणंतरं च णं मायाए-मायाए परिहायमाणे-परिहायमाणे नीलवंतवासहरपव्दयंतेणं एगं एगूणवीसइभागं जोयणस्स विक्खंभेणं से णं एगाए पउपवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं संपरिक्खत्तं वण्णओ सीयामुहवणस्स जाव देवा आसयंति एवं उत्तरिलं पासं समत्तं विजया भणिया रायहाणीओइमाओ-९६-91-96-1 (१७२) खेमा खेमपुरा चेव रिहा रिट्ठपुरा तहा बग्गी मंजूसा अवि यओसही पुंडरीगिणी
॥५६॥-1 . (१७३) सोलस विज्ञाहरसेढीओतावइयाओ आभियोगसेढीओसव्वाओइमाओईसाणस्स सव्येसु विजएसु कच्छवत्तव्या जाव अट्ठो रायाणो सरिसणामगा विजएसु सोलसण्हं वक्खारपब्बयाणं चित्तकूडवत्तव्वया जाव कूडा चत्तारि-चत्तारि बारसहं नईणं माहाबइ-वतव्वया जाव उमओपासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं घणसंडेहिंय वण्णओ।९६-98
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