Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 87
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७८ जंबुद्दीव पन्नती-४/960 देवा रायहाणीओ दक्खिणेणं कहिणं भंते महाविदेहे वासे देवकुरा नामंकुरा पत्ता गोयमा मंदरस्स पचयस्स दाहिणेणं निसहस्सा वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं विचप्पहवक्खारपव्ययस्स पुरत्यिमेणं सोमनसवक्खारपव्ययस्स पचत्यिमेणं एत्थ णं देवकुरा नाम कुरा पत्रत्ता-पाईणपड़ीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा एक्कारस जोयणसहस्साई अट्टय बायाले जोयणसए दुणि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स विखंभेणं जहा उत्तरकुराए वत्तव्वया जाव अनुसनमाणा पम्हगंधा भियगंधा अममा सहातेतली सणिचारी।९८1-97 (१८१) कहिणं भंते देयकुराए चित्त-विचित्तकूड़ा नाम दुवे पव्यया पन्नत्ता गोयमा निसहस्स वासहरपब्वयस्स उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ अट्टोचोत्तीसे जोयणसए चत्तारिय सत्तभाए जोयणस्स अबाहाएसीयोयाए महानईए पुरस्थिम-पञ्चस्थिमेणं उभओकूले एत्य णं चित्त-विचित्तकूडा नाम दुवे पब्वया पत्रत्ता एवंजञ्चेवजमगपबयाणं सचेव एएसिं रायहाणीओदक्खिणेण।१९।-98 (१८२) कहि णं भंते देवकुराए कुराए निसहद्दहे नाम दहे पत्रत्ते गोयमा तेसिं चित्तविचित्तकूडाणं पब्बयाणं उत्तरिल्लाओ चरिसंताओ अट्ठ चोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तमाए जोयणस्स अवाहाए सीओयाए महानईए बहुमज्झदेसभाए एत्य णं निसहहहे नामं दहे पत्रत्ते एवं जचेय नीलवंत-उत्तरकुरु-चंदेरावण-मालवंताणं दत्तव्यया सच्चेव निसह-देवकुरु-सूर-सुलसविजप्पभाणं नेयव्वा रायहाणीओदक्खिणेणं।१००1-99 (१८३) कहि णं मंते देवकुराए कुराए कूडसामलिपेढे नामं पेढे पन्नत्ते गोयमा मंदरस्स पव्ययस्स दाहिणपञ्चत्यिमेणं निसहस्स यासहरपव्ययस्स उत्तरेणं विजुप्पमस्स वक्खारपव्ययस्स पुरत्यिमेणं सोमणसरस वक्खारपव्वयस्स पचत्यिमेणं सीयोयाए महानईए पञ्चत्यिमेणं देवकुरुपञ्चत्यिमद्धस्स बहुमझदेसभाए एत्य णं देवकुराए कुराए कूडसामलीए कूडसामलिपेढे नाम पेढे पन्नत्ते एवं जचेच जंबूए सुदंसणाए क्त्तव्चया सच्चेव सामलीएवि भाणियव्या नामविहूणा गरुलवेणुदेवे रायहाणी दक्खिणेणं अवसिद्वंतं चैव जाव देवकुरु य इत्थ देवे पलिओवमहिईए परियसइसे तेणडेणं गोयमा एवं वुधइ-देवकुरा देयकुराअदुत्तर चणं देवकुराए।१०१1-100 (९८४) कहि णं भंते जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे विचुप्पभे नामं वक्खारपब्बए पन्नत्ते गोयमा निसहस्स दासहरपव्वयस्स उत्तरेणं मंदरस्स पब्बयस्स दाहिणपञ्चत्यिमेणं देवकुराए पञ्चस्थिमेणं पम्हस्स विजयस्स पुरथिमेणं एत्य जं जंबुद्दीये दीवे महाविदेहे वासे विझुप्पभे वक्खारपव्वए पन्नते-उत्तरदाहिणायए एवं जहा मालवंते नवरि-सव्वतवणिजमए अच्छे जाव देवा आसयंति, विजुप्पमेणं मंते वक्खारपव्वए कइ कूडा पत्रत्ता गोयमा नव कूडा पत्रता तं जड़ासिद्धाययणकूड़े विजुप्पमकडे देवकुरुकूड़े पम्हकूड़े कणगकूड़े सोवस्थियकूड़े सीतोदाकूड़े सयजलकूडे हरिकुडे।१०२-9-101-1 (१८५) सिद्ध य विजुणामे देवकुरु पम्ह कणग सोवत्थी सीतोदाय सयजल हरिकूडे चेव योद्धव्ये ॥६०|-1 (1८६) एए हरिकूडवजा पंचसइया नेयव्वा एएसि णं कूडाणं पुच्छाए दिसिविदिसाओ नेयव्याओ जहा मालवंतस्स हरिस्सहकूड़े तह चेव हरिकूडे रायहाणी जह चेव दाहिणेणं चमरचंचा रायहाणी तह नेयव्या कणग-सोयस्थियकूडेसु वारिसेण बलाहयाओ दो देवयाओ अवसिद्वेसु कूडेसु कूडसरिसणामया देवा रायहाणीओ दोहिणेणं, से केणटेणं भंते एवं वुच्चइ-विजुप्पभे वक्खारपव्वए For Private And Personal Use Only

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