Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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बुद्दीव पनत्ती-७/२५६ पन्नत्ते जंयुद्दीवे णं मंते दीवे भदरस्स पब्बयस्स केयइयं अपाहाए अन्मंतराणंतरे सूरमंडले पन्नत्ते गोयमा चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ट य बावीसे जोयणसए अडयालीसं च एगसहिपागे जोयणस्स अवाहाए अब्मतराणंतरे सूरमंडले पन्नत्तेजंबुद्दीवेणं मंते दीवे मंदरस्स पव्ययस्स केयइयं अबाहाए अब्यंतरतच्चे सूरमंडले पन्नत्ते गोयमाचोयालीसंजोयणसहस्साई अट्ठय पणवीसे जोयणसए पणतीसं च एगसट्ठिभागे जोयणस्स अबाहाए अब्यंतरतच्चे सूरमंडले पत्रत्ते एवं खलु एएणं उवाएणं निखममाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओतयणंतरं मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो जोयणाई अडयालीसं च एगसद्विभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अबाहावुढि अभिवड्डेमाणेअभिवड्ढेमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ जंबुद्दीये णं मंते दीवे मंदास पव्ययस्स केवइयं अबाहाए सव्ववाहिरे सूरमंडले पत्रत्ते गोयमा पणयालीसं जोयणसहस्साई तिण्णि य तीसे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरे सूरमंडले पत्रत्ते जंबुद्दीवे णं भंते दीवे मंदरस्स पव्ययस्स केवइयं अबाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पन्नत्ते गोयमा पणयालीसं जोवणसहस्साई तिण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तेरस य एगसहिभाए जोयणस्स अबाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पत्रत्ते जंबुद्दीवेणं मंते दीवे मंदरस्स पब्बयस्स केवइयं अबाहाए बाहिरतचे सूरमंडले पन्नत्ते गोयमा पणयालीसं जोयणसहस्साई तिण्णि य चउदीसे जोयणसए छब्बीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स अबाहाए बाहिरतच्चे सूरमंडले पन्नत्ते एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणंतरं मंडलं संकममाणे-संकरपाणे दो-दो जोयणाई अडयालीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अवाहायुड्ढि नियड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे सव्वलंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारंचरइ।१३२-131
(२५७) जंबुद्दीवे दीवे सबब्तो गं मंते सूरमंडले केवइयं आयाम-विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पन्नत्ते गोयमा नवणउई जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसए आयाम-विक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पन्नरस य जोयणसहस्साई एगणणउइंच जोयणाई किंचिबिसेसा - हियाई परिक्खेवेणं अब्भंतराणंतरे णं मंते सूरमंडले केवइयं आयाम-विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पत्रत्ते गोयमा नवणउइं जोयणसहस्साइंछच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगप्पट्ठिभाए जोयणस्स आयाम-विक्खंभेमं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई पत्ररस य जोयणसहस्साई एगे च सत्तुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं पत्रत्ते अब्मंतरतचे णं मंते सूरमंडले केवइयं आयाम-विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेणं पन्नत्ते गोयमा नवणउइं जोयणसहस्साई तिण्णि य जोयणसयसहस्साई पत्रास जोपणसहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्लेवेणं एवं खलु एएणं उवाएणं निखममाणे सूरिएतयणंतराओ मंडलाओतपणंतरं मंडलं संकममाणे-संकममाणे पंच-पंच जोयणाईपणतीसंच एगसहिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुड्ढि अभिवड्वेमाणे-अभिवड्ढेमाणे अट्ठारसअद्वारस जोयणाई परिरयबुड्ढि अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे सन्चाबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ सव्वाबाहिरए णं भंते सूरमंडले केवइयं आयाम-विक्कंभेणं केयइयं परिक्खेवणं पन्नत्ते गोयमा एग जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिणि य पन्नरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं बाहिराणंतरे णं मंते सूरमंडले केवइयं आयाम-विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पन्नत्ते गोयमा एणंजोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पन्ने जोयणसए छव्वीसं च एमसहिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं तिष्णि य जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई दोण्णि य सत्ताणउए जोयणसए परिक्वेयेणं वाहिरतो णं मंते
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