Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जंयुद्दीव पन्नत्ती-४/१३५
महानई पवहे पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं अद्धजोयणं उब्बेहेणं तयणंतरं च णं मायाए-मायाए परियड्ढमाणी-परिवड्ढमाणा मुहमूले अड्दाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं पंच जोयणाई उब्बेहेणं उमओ पासिंदोहिं परमवरवेइयाहि दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खिता।८१६80
(१३६) पहाहिमवंते णं भंते वासहरपब्बए कइ कूडा पत्रत्ता गोयमा अg कूडा पन्नत्ता तं जहा-सिद्धायतणकूड़े महाहिमवंतकूडे हेवमयकूड़े रोहियकूड़े हरिकूडे हरिकताकूडे हरियासकूडे वेरुलियकूड़े एवं घुल्लहिमयंतकूडाणं जा वत्तव्वया सचेव नेयव्या से केणट्टेणं भंते एवं वुच्चाइमहाहिमवते वासहरपव्वए महाहिमवंते वासहरपब्बए गोयमा पहाहिमवंते णं वासहरपन्चए चुलहिमवंते वासहरपव्वयं पणिहाय आयामुच्चत्तव्येह-
विखंभ-परिक्खेवेणं महंततराए चेव दीहतराएचेव महाहिमवंते यत्थ देवे महिड्ढीए जाव पलिओवमट्टिईए परिवसइ।८२1-81
(१३७) कहि णं भंते जंबुद्दीवे दीवे हरिवासे नाम वासे पन्नत्ते गोयमा निसहस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं महाहिमवंतस्स वासहरपन्चयस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरत्यिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे दीवे हरिवासे नाम वासे पन्नत्ते एवं जाव पञ्चत्यिमिलाए कोडीए पञ्चत्यिमिलं लवणसमुदं पुढे अट्ठ जोयणसहस्साई चत्तारि य एगवीसे जोयणसए एगं च एगूणवीसइभार्ग जोयणस्स विखंभेणं तस्स बाहा पुरथिमपञ्चस्टिमेणं तेरस जोयणसहस्साई तिण्णि य एगसट्टे जोयणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपड़ीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्ठा-पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं जाव लवणसमुदं पुट्ठा तेवत्तरि जोयणसहस्साई नव य एगुत्तरे जोयणसए सत्तरस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं तस्सधणुं दाहिणेणं चउरासीइंजोयणसहस्साई सोलसजोयणाईचत्तारि एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्रोवेणं हरिवासस्स णं भंते वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे पत्रत्ते गोयमा बहुसमरमणिज्जे भूमिमागे पत्रत्ते जाव मणीहिं तणेहिं व उवसोभिए एवं मणीणं तणाणं यवण्णो गंधो फासो सहो य माणियव्यो हरिवासे णं वासे तत्य-तत्य देसे तहिं-तहिं बहवे खुड्डाखुड्डियाओ एवं जोसुसमाए अनुभावो सो चैव अपरिसेसो वत्तव्दो कहिणं पंते हरिवासे वासे वियडावई नामं वयेयड्ढपव्यए पत्रत्ते गोयमा हरीए महानईए पचत्यिमेणं हरिकताए महानईए पुरथिमेणं हरिवासस्स वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं वियडाबाई नामं वट्टवेयड्दपव्दए पन्नत्ते एवं जो चेव सद्दावइस्स विक्खंमुयत्तुव्येह-परिस्खेव-संठाण-चण्णावासोय सो चेव वियडावइस्सवि भाणियच्चो नवरं-अरुणो देवो पठमाइं जाब वियडावइवण्णाभाई अरुणे यत्य देवे महिड्डीए एवं जाव दाहिणेणं रायहाणी नेयवा से केपट्टेणं भंते एवं वुन्छइ-हरिदासे वासे हरिवासे वासे गोयमा हरिवासे णं वासे मणुया अरुणा अरुणोभासा सेया णं संखतलसणिकासा हरिवासेदेवेमहिड्ढीएजाव पलिओयमहिईएपरिवसइसे तेगडेणं गोयमा एवं बुधइ०1८३182
११३८) कहि णं भंते जंबुद्दीवे दीवे निसहे नामं यासहरपव्यए पत्रत्ते गोयमा महाविदेहस्स वासस्स दक्खिणेणं हरिवासस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुद्दस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्य णं जंबुद्दीचे दीवे निसहे नामं वासहरपब्वए पन्नते-पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिपणे दुहा लवणसमुदं पुढे-पुरथिमिल्लाए जाव पुढे चत्तारिजोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं चत्तारि गाउयसयाई उव्वेहेणं सोलस जोयणसहस्साई अट्ठ य बायाले जोयणसए दोणि य एगुणवीसइमाए जोयणस्स विखंभेणं तस्स बाहापुरस्थिमपञ्चस्टिमेणं वीसं जोयणसहस्साई एगंच पन्नटुंजोयणसयं
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