Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६ जंगुहींव पन्नत्ती-1/६० चडगर-पहकरसंकुलाए सेणाए पहियकित्ती जेणेय बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेय आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेब उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरिकडगसण्णिभं गयवई नरवई दुरुढे तएणं से भरहाहिवेनरिदे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलउजोइयाणणे मउडदित्तसिरए नरसीहे नरवई नरिद नरवसभे मरुयरायवसभकप्पे अमहियरायतेयलच्छिए दिप्पमाणे पसत्यमंगलसएहिं संथुव्यमाणे जयसद्दकयालोए हत्यिखंधवरगए संकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहि उद्धव्यमाणीहिं-उर्दुव्बमाणहीहिं जक्खसहस्ससंपरिबुडे वेसमणे चेव धणवई अमरवइसण्णिमाए इड्ढीए पहियकित्ती गंगाए महानईए दाहिणिलेणं कलेणं गामागर-नगर-खेड-कबड-मंडबदोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सहस्समंडियं थिमियमेइणीयं वसुहं अभिजिणपाणे-अमिजिणपाणे अग्गइंवराई रयणाई पडिच्छमाणे-पहिच्छमाणे तं दिव्वं चककरयणं अनुगच्छमाणे-अनुगच्छमाणे जोयणंतरियाहिं वसहीहि वसमाणे-वसमाणे जेणेव मागहतित्ये तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मागहतित्थस्स अदूरसामंते दुवालसजोयणायाम नवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसरिछं विजयखंधावारनियेसं करेइ कोत्ता षड्दरयणं सहायेइंसहावेत्ता एवं बयासी-खिप्यामेव भो देवाणुप्पिया मम आवासं पोसहसालंच करेहि करेत्ता ममेयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहितएणं से वड्डइरयणे मरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ-जाव अंजलिंक?एवं सामी तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणे पहिसुणेत्तापरहस्सरपणोआवसहं पोसहसालं चकोइकरेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणति तए णं से भरहे राया आभिसेक्काओ हस्थिरयणाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेय उवागच्छइ उदागछित्ता पोसहसालं अनुपविसइअनुपविसित्ता पोसहसालं पमजइ पमजित्ता दव्मसंथारगं संथरइ संयरिता दव्यसंथारगं दुरुहइ दुरिहित्ता मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ पगिण्डित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंपयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे बदगयमालावष्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले दब्मसंघरोवगए एगे अभीए अट्ठमभत्तं पडिजागरणमाणे-पडिजागरमाणे विहरइ तएणं से मरहे राया अद्रुममत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिकखमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उबवाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता कोडुबिय-पुरिसे सहायेइ सद्दावेत्ता एवं ययासी-खिप्पामेव मो देयाणुप्पिया हप-गय-रह-पवरजोह-कलियं चाउरंगिणिं सैण्णं सण्णाहेइ चाउग्धंटं अस्सरहं पडिकप्पेहत्ति कटु मजणघरं अनुपविसइ अनुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे तहेव जाव धवल-महामेहणिग्गए जाव मजणघराओ पडिणिक्खमइ पडिणिकखमित्ता हय-गय-ह-पवरवाहण-सेणाए पहियकित्ति जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्धंटे अस्सरहे तेणेय उवागच्छइउवागच्छित्ताचाउग्धंटंअस्सरहंदुरुढे ।४५/-44 (१२) तए णं से परहे राया चाउग्धं अस्सरहं दुरुढे समाणे हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए सद्धिं संपरिबुड़े महयामड-चडग-पहगरवंदपरिदिखत्ते चक्करयणदेसियमग्गे अनेग. रायवरसहस्साणुजायमग्गे महया उक्किट्ठि-सीहनाय-बोल-कलकलरवेणं पक्खुभिय-महासमुद्दरवपूयं पिव करेमाणे-पुरत्यिमदिसाभिमुहे मागहतित्येणं लवणसमुद्दे ओगाहइ जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्लातएणं से परहे राया तुरगे निगिण्हई निगिहित्ता रहं ठवेइ ठवेत्ता ध[परामुसइ तएणं तं अइरुग्णयबालचंद इंदधणु-सनिकासं वरमहिस-दरिय-दप्पिय-दढ-घणसिंगागरइयसारं उरगघर-पवरगवल-पवरपरहुय-ममरकुल-नीलि-निद्ध-धंत-धोय-पट्ट निउणोविय-मिसिपिसेंत-मणिरयण-घंटियाजालपरिक्खित्तं तडितरुणकिरण-तवणिञ्ज-बद्धचिंधंददरमलयगिरिसिहर-केसरचाम For Private And Personal Use Only

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