Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जंजदीव पन्नती-४/१२८
वे रइयामई तूली लोहयक्खमया बिब्बोयणा तयणिमई गंडोवहाणिया से णं देवसयणिजे सालिंगणवट्टीए उमओ बिब्बोयणे दुहओ उण्णए मझे नय-गंभीरे गंगा- पुलिणयालुयाउद्दालसालिसए ओयविय-खोमदुग्गुलपट्ट-पडिच्छयणे आइणग-रुत-यूर-नवणीय-तूलफासे सुविरइयरयताणे रतंय-संयुते सुरम्मे पासाईए दरिसणिजे अभिरूये पडिरूवे ] से णं पउमे अन्नेम अट्ठासएणं पुमाणं तदद्भुञ्चत्तप्यमाणमेत्ताणं सव्वओ समता संपरिक्खित्ते ते णं पउमा अद्धजीयणं आयाम विक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वेहेमं कोसं ऊसिया जलताओ साइरेगाई दसजोयणाई सव्वग्गेणं पत्रत्ते तेसि णं पउमाणं अयमेयारूये वण्णायासे पत्ते तं जहा वइरामया मूला जाव कणगामई कण्णिया सा णं कण्णिया को आयामेणं अद्धको बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा तीसे कण्णियाए उप्पिं बहुसमरमणि भूमिभागे पत्रत्ते जाव मणीहिं उवसोभिए तस्स नं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए चउन्हं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पत्रताओ तस्स णं पउमस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए चउण्हं महत्तरियाणं चत्तारि पउमा पन्त्रता तस्स णं पउमस्त दाहिणपुरत्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए अभितरियाए परिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ पउमसाहस्सीओ पत्रत्ताओ दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसहं देवसाहस्सीणं दस पउमसाहस्सीओ पत्रत्ताओ दाहिणपञ्चत्थिमेमं बाहिरिया परिसाए बारहसन्तं देवसाहस्सीणं बारस पउमलाहासीओ पत्रत्ताओ पञ्चत्थिमेणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं सत्त पउमा पत्रत्ता तस्स णं पउमस्स चउद्दिसिं सव्वओ समंता एत्य णं सिरीए देवीए सोलसहं आवरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस परमसाहस्सीओ पन्नताओ से णं पउने तिहिं पउमपरिक्खेवेहिं सव्वओ समता संपरिक्खित्ते तं जहा अतिरएणं मज्झिमएणं बाहिरएणं अमितरए पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ मज्झिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीओ पत्रत्ताओ बाहिरए पउमपरिक्खेवे अडथालीसं पउमस्यसाहस्सीओ पत्रताओ एवामेव सपुव्वावरेणं तिहिं पउमपरिक्वेवेहिं एगा पुणकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीओ भवतीति अक्खायं से केणद्वेणं भंते एवं बुधइ-पउमद्दहे पउमद्दहे गोयमा पउमद्द णं तत्य-तत्य देसे तहिं तहिं बहवे उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताइं पउमद्दहप्पभाई पउमद्दहागाराई पउमद्दहवण्णाई पुमद्दहवण्णाभाई सिरी यत्य देवी महिड्ढीया जाव पलिओचमट्ठिईया परिवसइ से एएणणं अदुत्तरं च णं गोयमा पउमद्दहस्स सासए नामधेजे पत्रत्ते जंन कयाइ नासि न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य धुवे नियए जाव अवट्ठिए निचे ॥७४॥ -73
( १२९ ) तस्स णं पउमद्दहस्स पुरथिमिल्लेमं तोरणेणं गंगा महानई पबूढा समाणी पुरत्याभिमुही पंच जोयणसयाई पव्वएणं हंता गंगावत्तणकूड़े आबत्ता समाणी पंच तेवीसे जोयणसए तिणिय एगूणवीसइभाए जोयप्णस्स दाहिणाभिमुही पव्वणं गंता महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ गंगा महानई जओ पवडइ एत्य णं महं एगा जिमिया पत्रत्ता सा णं जिमिया अद्धजोयणं आयामेणं छस्सकोसाइं जोयणाई चिक्खमेणं अद्धको बाहल्लेणं मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्ववइराभई अच्छा सण्हा गंगा महानई जत्थ पवडइ एत्य णं पहं एगे गंगप्पवायकुंडे नामं कुंडे पत्रते-सट्ठि जोयणाई आयाम-विक्कंभेणं नउयं जोयणस्यं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं दस जोयणाई उच्चेहेणं अच्छे सहे रययामयकूले वइरामयपासाणे सुहोतारे सुउत्तारे नानामणितित्थ-बद्धं वइरतले सुवण्ण-सुज्झ-श्ययमणिबालुयाए
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