Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पक्खारो-३ वाणा दंडरयणेणं महया-महया सद्देणं तिल्खुत्तो आउडिया समाणा महया-महया सद्देणं ऊचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाई-सगाई ठाणाई पच्चीसक्कित्या तए णं से सुसेणे सेणायई तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे विहाडे विहाडेता जेणेब भरहे राया तेणेव उवागच्छड उवागच्छित्ता मरहं रायंकरयलपरिग्गहियं सिरसावतमस्थए अंजलि कटुजएणं विजएणं वद्धायेइ बखावेत्ता एवं वयासी-विहाडिया णं देवाणुप्पिया तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुबारस्स कवाडा एयण्णं देवाणु - प्पियाणं पियं निवेदेमो पियं भे भवउ तएणं से परहे रायासुसेणस्स सेणावइस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हदु-तुदु-वित्तमाणदिए [नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणा] हियए सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया आभिसेक्कं हस्थिरयणं पडिकप्पेह हय-गय-रह-पवरजो-हकलियंचाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेहतहेवजाव अंजणगिरिकइसण्णिभं गयवरं नावई दुरुदे।५३१७
(७८) तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ-तो तं चउरंगुलप्पमाणमेत्तं च अग्धियं तंस-चलंस अगोवमजुइं दिव्यं मणिरयणपतिसमं वेरुलियं सब्वभूयकंतं वेढो-जेणं य मुद्धागएण दुक्खं न किंचि जायइ हयइ आरोग्य सबकालं तेरिच्छिय देवमाणुसकया य उयसग्गा सव्वे न करेंति तस्स दुस्खं संगामे वि असत्थवज्झो होइ नरो मणिवरं धरतो ठियजोव्वण केसअववियणहो हवइ य सव्वभयविप्पमुक्को तं मणियरयणं गहाय से नरवई हस्थिरयणस्स दाहिणिल्लाए कुंभीए निरिखदइ तए णं से भरहाविहे नरिंदे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे जाव अमरवइसण्णिमाए इड्ढीए पहियकिती मणिरयणकउञ्जोए चक्करयणदेसियमागे अणेगरायवरसहस्साणुयायमग्गे महयाउक्किट्टिसीहनायबोलकलकलरवेणं पखुभियमहासमुद्दरयभूयंपिय करेमाणे-करेमाणे जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तिमिसगुहं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अतीति ससिव्य मेहंधकारनिवहं तए णं से भरहे राया छत्तलं दुवालसंसियं अट्ठकणियं अहिगरणिसंठिचं अट्ठसोवणियं कागणिरयणं परामुसइतएणंतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं अट्ठसुवणं च विसहरणं अउलं चउरंससंठाण-संठियं समतलं माणुप्माणजोगा जतो लोगे चरंति सव्वजणपन्नावगा नवि चंदो नवि तत्य सूरो नवि अग्गी नयि तत्य मणिणो तिमिरं नाति अंधकारे जत्थ तकं दिव्यप्पमापुवजुत्तं दुवालसजोयणाइं तस्स लेस्साओ विवड्दति तिमिरणिग- रपडिसेहियाओ रतिं च सव्यकालं खंधावारे करेइ आलोयं दिवसभूयजस्स पभावेणं चकवट्टी तिमिसगुहमतीति सेण्णसहिए अमिजेतुं वितियमद्धभरहं रायपवरे कागणि गहाय तिमिसगुहाए पुरथिमिल्लपञ्चस्थिमिल्लेसु कडएसु जोयणंतरियाई पंचधणुसयायामविक्खंभाई जोयणुञ्जोयकराई चक्कनेमीसंठियाई चंदमंडलपडिणिकासाई एगणपन्नं मंडलाइं आलिहमाणे-आलिहमाणे अनुष्पविसइ तए णं सा तिमिसगुहा माहेणं रण्णा तेहिं जोयणंतरिएहिं [पंचधणुसयायामविखंभेहिं] जोयणुजोयकरहिं ए गूणपत्राए मंडलेहिं आलिहिज्जमाणेहि-आलिहिज्जमाणेहिं खिप्पामेव आलोगभूया उञ्जोयभूया दिवसभूयाजाया याविहोत्या ।५४/-54
(७१) तीसे णं तिमिसगुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्य णं उम्मुग्ग-निमुग्गजलाओ नामं दुवे महानईओ पन्नत्ताओ जाओ णं तिमिसगुहाए पुरथिमिल्लाओ भित्तिकडगाओ पवूढाओ समाणीओ पनधिमेणं सिंधु महानइं समपति से केणटेणं पंते एवं युच्चइ उम्मुग्ग-निमुग्गजलाओ महानईओ गोयमाजण्णं उम्मुगजलाए महानईए तणं वा पत्तं वा कई वा सक्करा वा आसे या हत्थी वा रहे या
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