Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ जंबुद्दीव पन्नती-३/९० ส विजयखंधावारस्स उपिं जुगमुसलमुट्ठिप्यमाणमेत्ताहिं धाराहिं ओघमेघं सत्तरतं वासं वासह एवमवि गते इत्तो खिप्पामेव अवक्कमह अहव णं अज्ज पासह चित्तं जीवलोगं कए णं ते मेहमुहा नागकुमारा देवा तेहिं देवेहिं एवं वृत्ता समाणा भीया तत्था वहिया उब्विग्गा संजायभया मेहाणीकं पडिसाहरति पडिसाहरित्ता जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता आवाडचि - लाए एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया भरहे राया महिड्ढीए [ महजुईए महाबले महायसे महासोक्खे] महाणुभागे न खलु एस सक्को केणइ देवेण वा [दानवेण वा किण्णरेण या किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा सत्यप्पओगेण वा अग्गिप्पओगेण वा मंतप्पओगेण वा उद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहावि य णं अम्हेहिं देवाणुप्पिया तुष्मं पियट्टयाए भरहस्स रण्णो उवसग्गे कए तं गच्छह णं तुब्भे देवाप्पिया पहाया कयबलिकम्पा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता उल्लपडसाडगा ओचूलगणियत्था अगाई बराई राई गहाय पंजलिउडा पायवडिया भरहं रायाणं सरणं उवेह पणिवइयवच्छता खलु उत्तमपुरिसा नत्थि भे भरहस्स रण्णो अंतियाओ मयमितिकट्टु एवं वदित्ता जामेव दिसिं पाउल्या तामेव दिसिं पडिगया तए गं ते आवाडचिलाया मेहमुहेहिं नागकुमारेहिं देवेहिं एवं वृत्ता समाणा उट्ठाए उद्वेति उत्ता व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता उल्लपडसाइगा चूलगनियत्या अग्गाई वराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कट्टु भरहं रावं जएणं विजएणं वद्धावेति वद्धावेत्ता अगाई बराई रयणाई ज्वर्णेति उवणेत्ता एवं वयासी- १६१-१ /-61-1 (९१) वसुहर गुणहर जवहर हिरिसिरिधीकितिधारकणरिंद लक्खणसहस्सधारक रायमिणं ने चिरं धारे (९२) हयवति गयवति नरवति नवणिहिवति भरहवासपदमवति बत्तीसजणवयसहस्सराय सामी चिरं जीव (९३) पढमनारीसर ईसर हियईसर महिलियासहस्साणं देवसयसहस्सीर चोइसरयणीसर जसंसी (९४) सागरगिरिपेरंतं उत्तरपाईणमभिजियं तुमए ता अम्हे देवाणुप्पियस्स विसाए परिवसामो १|२४|| -4 (१५) अहो णं देवाणुप्पियाणं इड्ढी जुई जसे बले वीरिए पुरिसक्कार- परक्कमे दिव्या देवजुई दिवे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए तं दिवा णं देवाणुपियाणं इड्ढी जाव अभिसमण्णागए तं खामु णं देवाणुपिया खमंतु णं देवाणुप्पिया द्वंतु मरुहंतु णं देवाणुप्पिया नाइ भुजो - भुजो एवं करणयाएत्तिकट्टु पंजलिउडा पाथवडिया भरहं रामं सरणं उदेति तए णं से भरहे राया तेसिं आवाडचिलायाणं अग्गाई बराई रयणाई पडिच्छंति पडिच्छित्ता ते आवाडचिलाए एवं ववासी- गच्छहणं भो तुभे ममं बाहुच्छायपरिग्गहिया निमया निरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसह नत्थि मे कत्तोदि भयमितिकट्टु सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेता पडिविसज्जेइ तए णं से भर या सुसेण सेणावई सद्दावेइ सहावेत्ता एवं व्यासी- गच्छाहि णं भी देवाणुप्पिया दोघं पि सिंधूए महानईए पचत्थिमं निक्खुडं ससिन्धुसागरगिरिमेरागं समवि- समणिक्खुडाणि य ओववेहि ओयवेत्ता अग्गाई बराई रयणाई पडिच्छाहिं पडिच्छित्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणाहि तए णं से सेणावई बलस्स नेया भरहे वासंमि विस्सुयजसे महाबलपरक्कमे जहा दाहिणिल्लास ओषवणं For Private And Personal Use Only ॥२१॥-1 ॥२२॥-2 ॥२३॥-3

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