Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir TO पवारो-३ विस्सुयजसा तंजहा]- १६६-9668-1 (१०६) नेसप्पे पंडुयए पिंगलए सच्वरयण महापउमे काले य महाकाले माणवग महानिही संखे २८1-1 (१०७) नेसप्पमि निवेसा गामागरणगरपट्टणाणंच दोणमुहमइंबाण खंधावारावणगिहाणं 1|२९||-I-R (१०८) गणियस्स य उप्पत्ती माणुम्माणस्स जं पमाणंच धरणसय बीयाण य उप्पत्ती पंडुए भणिया ॥३०॥-2 (१०९) सव्वा आभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं आसाण य हत्यीण य पिंगलगणिहिंमिसा भमिय ॥३१॥3 (११०) रयणाईसव्यरपणे चोद्दस्स पवराई चक्कवहिस्स उप्पजतेर्गिदियाइं पंचइंदियाईच ||३२|14 (१११) वत्थाण य उप्पत्ती निकत्ती चेव सव्वमत्तीणं रंगाण य धोव्वाण य सव्याएसा महापउमे ।।३३।।-6 (११२) काले कालण्णाणं भव्यपुराणं यतिसुवि वासेसु सिप्पसवं कम्माणि य तिणि पयाए हियकराणि ॥३४॥6 (११३) लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकाले आगराणं च रुप्पस्स सुवण्णस्स य मणि-मोत्ति-सिल-प्पयालाणं ॥३५847 (११४) जोहाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणं च सव्वा यजुद्धणीइं माणवगे दंडणीईय 11३६/-8 (११५) नविही नागविही कव्वस्स चउव्विहस्स उप्पत्ती संखे महाणिहिंमी तुडियंगाणं च सव्वेसिं (११६) चक्कट्ठपइट्ठाणा अगुस्सेहा य नवय विक्खंभे बारसदीहा मंजूससंठिया जण्हवीइमहे ॥३८||-10 (११७) वेरुलियमणिकवाडा कणगपया विविहरयणपडिपुत्रा ससिसूरचक्कलक्खण अनुसमवयणोववत्तीया ॥३९||-11 (११८) पलिओवपट्टिईया निहिसरिणामा यतेसु खलु देवा जेसिं ते आवासा अक्किज्जा आहिवचाय (११८) एए नव निहिरयणा पभूयधणरयणसंचयमिद्धा जे वसमुपगच्छंति भरहाविचक्कवट्टीणं ||४१॥-19 (१२०) तए णं से परहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ एवं मजणघरपवेसो जाव [अट्ठारस सेणि-प्पसेणीओ सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया उस्सुककं उककर उकिकट्ठ अदिशं अमिजं अमहप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरणाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरियं अनुयमुइंगं अमिलायमल्लदामं पमुइयपककीलिय-सपुरजणजाणवयं विजयवेजइयं निहिरयणाणं अट्ठाहियं महामहिमं करेह करेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तएणंताओ अट्ठारस-सेणि-प्पेसीणो मरहेण रण्णा एवं बुताओ समणीओ हतुवाओ जाव अट्ठाहियं महामहिमं करेति करेत्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति) तए णं से परहे राया |३७|19 । ४०11-12 For Private And Personal Use Only

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