Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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वखारो-३
सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता सेणावइरयणं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माता एवं गाहावइायणं बढइरयणं पुरोहियरयणं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माता तिणि सट्टे सूस सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता अट्ठारस सेणि-पसेणीओ सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता अण्णे वि बहवे | राईसर-तलवर - माडंबिय - कोडुंबिय - इब्म-सेट्ठि-सेणावइ]-सत्यबाहप्पभितओ सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए जणदयकल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए छत्तीसइबद्धेर्हि नाइयसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे भवणवरवडेंसगं अईइ जहा कुबेरो व्व देवराया केलाससिहरिसिंगभूतं तए णं से भरहे राया मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधियपरियणं पचुदेक्खइ पशुवेक्खिता जेणेव मणघरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता जाव मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव भोयणपंडवे तेणेच उचागच्छइ उवागच्छित्ता भोयणपंडवंसि सुहासणवरगए अट्टमभत्तं पारेइ पारेत्ता उपि पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्यएहिं बत्तीसइबद्धेहिं नाडएहिं घरतरुणीसंपद्धत्तेहिं उवलालिमाणे उववालिञ्जमाणे उवणच्चिमाणे उवणचिमाणे उवगिजमाणे - उबगिजमाणे महया जाय कामभोगे भुंजमाणे बिहरइ । ६७1-67
(१२२) तए णं तस्स भरहस्स रण्णी अण्णया कयाइ रजधुरं चिंत्तेमामस्स इमेयावे (अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे] समुप्पचित्या- अभिजिए णं मए नियगबल-चीरियपुरिसक्कार परक्कमेणं चुल्ल हिमवतगिरिसागरमेराए केवलकप्पे भरहे वाले तं सेयं खलु मे अप्पाणं महयारायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकड्ड एवं संपेहेति संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभाए [रणीए फुलुप्पल-कमल-कोमलुम्मिलियंमि अपंडुरे पहाए रत्तासोगप्पगास-र्किसुय-सुयमुहगुंजद्धराग - सरिसे कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव मज्जणघरे तेणेव उपागच्छइ उवागच्छित्ता जाब मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणवार गए पुरत्याभिभु निसीयति निसीइत्ता सोलसदेवसहस्से बत्तीसं रायवरसहस्से सेणावइरयणे गाहावइरयणे वड्ढइ- रयणे पुरोहियरयणे तिष्णि सट्टे सूयसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अन्ने य बहवे राईसर तलवर -[ माडंबिय - कोडुंबिय इब्म सेट्ठि सेणावइ] - सत्यवाहम्पभियो सद्दावेइ सहावेत्ता एवं वयासी- अभिजिए णं देवाणुप्पिया मए नियगबल-वीरिय [पुरिस्काकर-परक्कमेणं चुखहिमवंतगिरिसागरमेराए] केवलकप्पे भरहे वासे तं तुम्मे णं देवाणुप्पिया ममं महयारायाभिसेयं वियरह तए णं ते सोलस देवसहस्सा जाव सत्यवाहप्पभिइओ भरहेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठ-चित्तभाणंदिया नंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कट्टु भरहस्स रण्णो एयमट्टं सम्मं विणएणं पडिसुर्णेति ते णं से भरहे राया जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जाय अट्ठमभत्तिए पडिजागरमाणे विहरइ तणं से भरहे राया अट्ठममत्तंसि परिणममाणंसि आभिओग्गे देवे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासिखिप्पामेव भी देवाणुप्पिया विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरत्थि दिसीभाए एवं महं अभिसेयमंडवं विउव्येह विउव्वेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तए णं ते आभिओग्गा देवा भरहेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हतुट्ठा जाव एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरत्थिवं दिसीभागं अवक्कमंति अवक्कमित्ता वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहण्णंति
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