Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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२८
जंबुद्दीव पन्नती-६/६७ जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छत्ति उवागच्छित्ता मजणघरं अनुपविसइ अनुपविसित्ता जाव ससिन पियदसणे नरवई मणघराओ पडिमिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उववाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेय उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे निसीयइ निसीइत्ता अट्ठारस सेणि-प्पसेणीओ सद्दावेद सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पमेव पो देवाणुप्पिया उस्सुक्कं उक्करं जाय मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिवं महामहिमं करेह करेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रण्णा एवं वुत्ताओ सपाणीओ हट्टतुट्ठाओ जाव करेंति करेता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति तएणं से दिव्ये चक्करपणे वइरामयतुंवे लोहियक्खामयारए जंबूणयनेमीए नाणामणिखुरप्पवालिपरिगए मणिमुत्ताजालभूसिए सणंदिधोसे सखिंखिणीए दिव्वे तरुणरविमंडलणिभे नानामणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्ते सब्बोउयसुरभिकुसुमआसत्तमालदामे अंतलिक्खपडिवण्णे जखसहस्ससंपरिवुडे दिव्यतुडियसहसणिणादेणं पूरेते चेव अंबरतलं नामेणं सुदंसणे नवरवइस्स पढमे चक्करयणे मागहतित्यकुमारस्स देवस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिक्कमइ पडिणिस्खमित्ता दाहिणपञ्चस्थिमं दिसिं वरदामतित्याभिमुहे पयाएयाविहोत्था।६।-45
(६८)तएणं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं दाहिणपञ्चत्यिम दिसि वरदामतित्थाभिमुहं पयातं चावि पासइ पासित्ता इट्टतुट्ट-जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहत्तिकटु मज्जणधरं अनुपविसइ अनुपविसित्ता तेणेव कमेणं जाव धवल-महामेहणिग्गए जाव सेयवरचामराहि उद्धव्यमाणीहिं-उद्धवमाणीहि मगइयवरफलग-पवरपरिगरखेडय-वरवप्पकयय-माढी-सहस्सकलिए उक्कडदरमउड-तिरीड-पडाग-झय-वेजंयति-चामरचलंत-छत्तंधयारकलिए असि-खेवणि-खाग-चाव-नाराय-कणय-कप्पणि-सूल-लउड-भिंडिमाल-धणुह-तोण-सरपहरणेहि य काल-नील-रुहिर-पीय-सुक्किल-अणेगचिंधसयसंयिणद्धे अप्फोडियसीहणाय-छेलियहय- हेसिय-हत्यिगुलुगुलाइय-अणेगरहसयसहस्सघणघणेत-नीहम्ममाणसद्दसहिएण जमगसमगभंमा-होरंभ-किणितखरमहि-मगंद- संखिय-पिरिलि-पव्वग-परिवायणि-वंस-वेण-बिवंचि-महतिकच्छ- भि-रिगिसिगि-कलताल-कंसताल-करधाणुविद्धेण महता सहसणिणादेण सयलमयि जीवलोगं पूरयंते बलवाहणसमुदएणं एवं जक्खसहस्ससंपरिबुडे वेसपणे चेय धणयई अमरपतिसण्णिभाए इड्ढीए पहियकित्ती गामागर-नगर-तहेव सेसं जाव विजयखंधावारणिवेसं करेइ करेत्ता चड्ढ-इरयणं सद्दावेद सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया मम आवसहं पोसहसालंचकरेहि ममेयमाणत्तिय पच्चप्पिणाहिं।।७।-48
(१२) तए णं से आसम-दोणमुह-गाम-पट्टण-पुरवर-खंधावार-गिहावणविभागकुसले एगासीतिपदेसु सव्येसु घेद वत्यूसु नेगगुणजाणए पंडिए विहिष्णू पणयालीसाए देवयाणं वत्युपरिच्छाए नेमिपासेसु मत्तसालासु कोट्टणिसु य वासधरेसु य विमागकुसले छेड्ने वेन्झे य दाणकम्पे पहाणवुद्धी जलयाणं भूमियाणं य भायणे जलथलगुहासु जंतेसु परिहासु य कालनाणे तहेव सद्दे वत्थुप्पएसे पहाणे गब्भिणि-कण्ण-रुक्ख-वल्लिवेढिय-गुणदोसवियाणए गुणड्ढे सोलसपासायकरणकुसले चउसटिविकप्पवित्ययमई णंदावत्ते य बद्धमाणे सोस्थियरुयग तह सव्वओभद्दसण्णिवेसेय बहुविसेसे उइंडिय-देव-कोट्ट-दारु-गिरिखाय-वाहण-विभागकुसले ।४८-91-47-1
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