Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जंबुद्दीष पन्नत्ती-३/७३
सेनामाहयके सरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तं नामाहयकं सरं गेहइ गेण्डित्ता नामकं अनुष्पवाएइ नामकं अनुप्पयाएमाणस्स इमे एयारूये अञ्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपखित्या- उपपन्ने खलु भो जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे नामं राया चाउरंतचकूकवट्टी तं जीयमेयं तीयपप्पन्नमणागयाणं वरदामतित्थकुमाराणं देवाणं राईणमुवत्याणियं करेत्तए तं गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रणो उवत्याणियं करेमित्तिकट्टु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता जूडामणि च दिव्वं उरत्यगेविज्जगं सोणियसुत्तगं कड़गाणि य तुडियाणि य वत्याणि य आभरणाणि य सरं च नामाहयं वरदामतित्थोदगं गेण्हइ गेण्हित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव वीईच्यमाणे जेणेव भरहे राया तेणेव उपागच्छइ उवागच्छित्ता अंतलिकूखपडिवण्णे संखिखिणीयाई पंचवण्णाई चत्याई पवर परिहिए करयलपरिग्गहियं दसहं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कट्टु भरहं रायं जपणं विजएणं बद्धावे चद्धावेत्ता एवं वयासी- अभिजिए णं देवाणुप्पिएहि केवलकप्पे भरहे बासे दाहिणिल्ले वरदामतित्यमेराए तं अहरणं देवाणुप्पियाणं विसयवासी अहणं देवाणुप्पियाणं आणत्ती- किंकरे अहरणं देवाणुप्पियाणं दाहिणिले अंतवाले तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ममं इमेयालवं पीइदाणंतिकट्टु चूडामणि च दिव्वं उरत्यगेविजगं सोणियसुत्तगं कडगाणि य तुडियाणि यवत्याणिय आमरणाणि य सरं च नामाहयं वरदामतित्योदगं च उषणेइ तए णं से भरहे राया वरदामतित्यकुमारस्स देवरस इमेयारूवं पीइदाणं पडिच्छइ पडिच्छिता वरदामतित्थकुमारं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसइ तए णं से भरहे राया रहं परावत्तेइ परावत्तेत्ता वरदामतित्येणं लवणसमुद्दाओ पछुत्तरइ पछुत्तरित्ता जेणेव विजयखंधाबारणिवेसे जेव बाहिरिया उड्डाणसाला तेणेव उद्यागच्छइ उवागच्छित्ता तुरगे निगिण्हइ निगिव्हित्ता रहं ठवेइ ठवेत्ता रहाओ पञ्चोरुहति पञ्च्चोरुहित्ता जेणेव भजणघरे तेणेव उदागच्छति उषागच्छित्ता मज्जणघरं अनुपविसइ अनुपविसित्ता जाव ससिव्य पियदंसणे नरवई मणघराओ पडिणिक्खणइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्टममत्तं पारेइ पारेत्ता भोयणमंडवाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उड्डाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेय उवागच्छइ उद्यागच्छित्ता सीहारूणवरगए पुरत्याभिमुहे नीसीयइ निसीइता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावे सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेच मो देवाणुप्पिया उस्सुक्कं उक्करं उक्कट्टं अदि अमिचं अडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरणाइइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरियं अनुसुयमुइंगं अमिलायमल्लदामं प्रमुइयपक्कीलियसपुरजण जाणवयं विजयवेजइयं वरदामतित्यकुमारस्स देवस्स अट्ठाहियं महामहिमं करेह करेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चष्पिणह तए णं ताओ अड्डारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रण्णा एवं युत्ताओ समाणीओ हट्टाओ जाव अट्ठाहियं माहमहिमं करेति करेता एयमाणत्तियं पञ्चप्पियंति तए णं से दिव्वे चक्करपणे वरदामतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिणिकूखमइ पडिणिक्खमित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे [जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्यतुडियसद्दसण्णिणादेणं] पूरेंते चेव अंवरतलं उत्तरपञ्चत्विमं दिसिं पभासतित्याभिमुहे पयाते यावि होत्या तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं उत्तरपश्चत्थिमं दिसिं पभासतित्थाभिमुहं पयातं चावि पासइ पासित्ता तहेव जाव पच्चत्थिमदिसाभिमुहे पभासतित्येणं लवणसमुद्दे ओगाहेइ जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाब पीइदाणं से नवरं मालं मउडिं मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य
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