Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पवारो-३ तुडियाणि य आमरणाणि य सरं च नामाहयं पभासतित्योदगं च गिण्हइ ता जाव पञ्चस्थिमेणं पभासतित्थमेराए अहणं देवाणुप्पियाणं विसयवासी जाव पच्चथिमिल्ले अंतवाले सेसं तहेर जाव अट्ठाहिया निव्वता [तए णं से भरते राया तुरगे निगिहई निगिड़ता रहंठवेइ ठवेत्ताधणुं परामुसइ जाव उसु निसिरइ-परिगरणिगरियमझो वाउयद्धसोभमाणकोसेजो चित्तेणं सोभते धणुवरेणं इंदोव्य पञ्चक्खं तं चंचलायमाणं पंचमिधंदोयमं महाचावं छाइथापे हत्ये नरयइणो तंमि विजयंमि तएणं से सरे भरहेणंरण्या निसड़े समाणे खिप्पामेव दुयालस जोयगाई गंता पभासतित्याधिपतिस्स देवस्स मवणंसि निवइए ताए णं से पभासतिस्थाहिवई देवे भवसि सरं निवइयं पासइ पासित्ता आसुरुते रुठे जाव एवं ययासी-केसणं मोएस अपत्थियपत्यएजेणं मम इमाए एयारूवाए दिव्वाए देयड्ढीए दिव्याए देवजुईए दिवेणं देवाणुभावेणं लद्धाए पत्ताए अभिसमण्णागयाए उर्पि अप्पुस्सुए मवर्णसि सरं निसिरइत्ति-कलासीहासणाओअमुढेइ अब्भुढेत्ता जेणेव से नामाहयके सरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तं नामाहयकं सरं गेहइ गेष्ठित्ता नामकं अनुप्पवाएइ नामर्फ अनुष्पवाएमाणस्स इमे एयारूवे० संकप्पे समुपञ्जित्था उप्पन्ने खलु मोजंबुद्दीवे दीये मरहे वासे भरहे नाम राया चाउरंतचक्कवट्टी तं जीयमेयं तीयपञ्चुप्पन्न- मणागयाणं पभासतित्थकुमाराणं देवाणं राईणमुवत्याणियं करेत्तएतं गच्छामिणंअहंपिभरहस्सरण्णो स्वस्याणियं करेमित्तिकट्टएवं संपेहेइ संपेहेत्ता मालं मउडिं मुत्ताजालं जाव पभासतित्थोदगं गेहइ गेण्हिता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए० यीइयवमाणे जेणेव परहे राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंतलिक्ख-पडिवण्णे संखिखिणीय. इंपंचवण्णाई वत्याईपवर परिहिए करयलपरिग्गहियंदसणहंसिरसावत्तं मत्यए अंजलि कट्टभरहं राय जएणं विजएणं यद्धावेइ यद्धावेत्ता एवं ययासी-अभिजिएणं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे पच्चस्थिमिल्ले पमासतित्यमेराए तं अहण्णं देवाणुप्पियाणं विसयवासी अहण्णं देवाणुप्पियाणं आणत्ती-किंकरे अहण्णं देवाणुप्पियामं पञ्चथिमिल्ले अंतवाले तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया समं इमेयारूवं पीइदाणंतिकट मालं मउडि मुत्ताजालं जाप पभासतित्योदगंच उवणेइ तए णं से भरहे राया पभासतित्यकुमारस्स देवस्स इमेयारूयं पीइदाम पडिच्छइ पडिच्छित्ता पभासतित्यकुमारं देवं सक्कारेइ जाव पडिविसझेइ तए णं से भरहे रापा रहं पराक्तेइ परायत्तेत्ता पमासतित्येणं लवणसमुद्दाओ पधुतरइ पधुत्तरिताजेणेव विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उयट्टाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जेणेव मञ्जपघरेणेव उवागच्छइ जावससिव्व पियदसणे नरवई मजणघराओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्यमित्ता जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छ३० अहममतं पारेइ पारेत्ता भोयणमंडवाओ पडिणिक्षमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवठाणसाला जेणेय सीहासणे तेणेद उयागच्च उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे निसीयइ नीसिइत्ता अद्वारस सेणि-प्पसैणीओ सद्धावेइ सद्धावेत्ता एवं क्यासी खिप्पामेव मो देवाणुप्पिया उस्सुक्कं उक्करं उक्किद्वं जाय अबाहियं महामहिमं करेह करेत्तामस एयमाणत्तियं पद्यप्पिणहतए गंताओ अट्ठारस सेणि-प्पसैणीओ परहेणं रण्णा एवं वुत्ताओ सपाणीओ हद्वत्तुहाओ जाव अट्टाहियं महामहिमं करेंति कोत्ता एपमामत्तिय] पञ्चपिणंति।।९।-49
(v) तए णं से दिवे चक्करयणे पभाप्ततित्यकुमारस्स देवस्स अवाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहधरसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता [अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्यतुडियसद्दसण्णियादेणं] पूरेते चेव अंबातलं सिंधूए महानईए दाहि
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130