Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जंबुद्दीव पन्नाती-३/७३ जिल्लेणं कलेणं पुरथिमं दिसि सिंधदेवीभवणाभिमहं पयातेयावि होत्या तएणंसेपाते रायातं दिव्वं चक्करयणं सिंधूए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसि सिंधुदेवीभवणाभिमुहं पयातं पासइ पासित्ता हद्वतु-चित्तमाणदिए तहेव जाव जेणेव सिंधूए देवीए मवणं तेणेव उवाच्छइ ज्यागच्छित्ता सिंधूए देवीए मवणस्सअदूरसामते दुवालसजोयणायामं नवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारणिवेसं करेइ कोत्ता [वड्ढइरयणं सदावेइ सदायेत्ता एवं घयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ममं आवासं पोसहसालं च करेहि करेत्ता ममेयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि तए णं से वड्ढइरयणे परहेणं एण्णा एवं वुत्ते समाणे हटतुट्ट-चित्तमाणदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसपमाणहियए करयलपरिगहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं सामी तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता मरहस्सरण्णो आवसहं पोसहसालं च करेइ कोत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणति तए णं से मरहे राया आभिसेक्काओ हस्थिरयणाओपच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ताजेणेच पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागछितापोसहसालं अनुपविसइ अनुपयिसित्ता पोसहसालं पमझइ पमज्जित्ता दव्यसंथारगं संथरइ संघरित्ता दमसंथारगं दुरुहइ पुरुहित्ता] सिंधूए देवीए अट्टममत्तं पगिण्हइ पगिण्हत्ता पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालायण्णगविलेयणे निखित्तसत्यमुसले दब्मसंथरोवगए अट्ठमभत्तिए सिंधुदेविं मणसीकोमाणे-मणसीकरेमाणे चिट्ठइ तए णं सा तस्स भरहस्स एण्णो अट्ठमभत्तसि परिणममाणंसि सिंधूए देवीए आसणंचलइ तएणंसासिंधुदेवीआसणंचलियंपासइ पासित्ता ओहिं पउंजइ पउंजित्ता भरहं रायं ओहिणा आएइ आभोएत्ताइसे एयारूवे अज्झथिए चिंतिए पथिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-उप्पन्ने खलु भो जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे नाम राया चाउरंतचक्कवट्टी तं जीयमेयं तीयपचुप्पन्नमणागयाणं सिंधूणं देवीणं मरहाणं राईणं उवत्याणियं कोतए तं गच्छामिणं अहंपि भरहस्स रण्णो उयत्थाणियं करेमित्ति कटु कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं नाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि य दुवे कणगभद्दासणाणि य कडगाणि य तुडियाणि य वत्याणि य आभरणाणि य गेण्हइ गेण्हिता ताए उक्किट्ठाए जाव एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे अहण्णं देवाणुप्पियाणं विसयवासिणो अहण्णं देवाणुप्पियाणं आणत्ति-किंकरी तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिपा मम इमं एयारूवं पीइदाणंतिकट्ट कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं नानामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि य दुवे कणकभद्दा- सणाणि य कडगाणि य [तुडियाणि य वत्याणि य आभरणाणि य उवणेइ तए णं से भरहे राया सिंधूए देवीए इमेयालवं पीइदानं पडिच्छइ पडिच्छित्ता सिंधु देविं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्पाणेत्ता पडिविसले तए णं से भरहे राया पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव मजणधरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिन्ता व्हाए कयबलिकम्मे जाय जेणेव मोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ उयागच्छित्ता भोयणमंडसि सुहाणसवरगए अट्टममत्तं पारेइ पारेत्ता जाव अष्टाहियं महामहिमं करेंति कोतातमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति ५०1-30
(७५) तए णं से दिव्वे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्टाहिपाए महामहिमाए निव्वताए समाणीए आउहवरसालओ [पडिणिखमइ पद्धिणिक्खमित्ता अंतलिखपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडियसहसणिणादेणं पूरेते चेव अंबरतलं] उत्तरपुरत्थिमं दिसि वेयड्दपव्ययभिमुहे पयाए यावि होत्या तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं उत्तरपुरस्थिमंदिसि वेयड्ढपब्बयाभि
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130