Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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वक्खारो-२
११
वसिंगारचारुवेसा संगपगय-हसिय- भणिय-चिट्ठिय-विलास-संलाव- निउणजुत्तो- वयार- कुसला सुंदरयण - जहण-वयण-कर-चलण- नयण- लावण्ण रूव-जोव्वण- विलासकलिया नंद- नवनविवरचारिणीउच्च अच्छराओ भरहवासमाणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जाओ पासाईयाओ जाव पडियाओ ते णं मणुया ओहस्सरा हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिस्सरा नंदिधोसा सीहस्सरा सीहधोसा सूसरा सूसरणिन्धोसा छयाउजीवियंगमंगा बज्ररिसहनाराय- संघयणा समचउरंसंठाणसंठिया छवि निरातका अनुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिपोसपिट्ठ-तरोरुपरिणया छद्धणुसहस्सभूसिया तेसि णं मणुयाणं ये छप्पण्णा पिट्टिकरंडकसया पन्नत्ता समणाउसो पउमुप्पलगंधसरिसणीसाससुरभिवयणा ते णं मणुया पगउवसंता पगइपयणुकोहमानमाया-लोभा मिउमद्दवसंपन्ना अलीणा भहगा विणीया अपिच्छा असण्णिबिसंचया विडिमंतरपरिसवणा जहिच्छियकामकामिणो । २२ - 21
(३५) तेसि णं भंते मणुआणं केवइकालस्स आहार समुप्पा गोयमा अट्टमभत्तस्स आहारट्ठे समुष्पज्जइ पुढवी पुप्फफलाहारा णं ते मणुआ पन्नता समणाउसो तीसे णं भंते पुढवीए केरिसए आसाए पन्नत्ते गोयमा से जहाणामए गुलेइ वा खंडेइ वा सक्कराइ वा मच्छंडियाइ वा पप्पडमोयएइ वा भिसेइ वा पुप्फुत्तराइ वा पउमुत्तराइ वा विजयाई वा महाविजयाइ वा आकासियाइ वा आसियाइ वा आगासफलोवमाइ बा उग्गाइ वा अणोवमाइ वा भवे एवारूदे नो इणठे समट्ठे सा णं पुढवी इत्तो इतरिया चेव जाव मणा मतरिया चैव आसाएणं पन्नत्ता तेसि णं भंते पुप्फफलाणं केरिसए आसाए पन्नत्ते गोयमा से जहाणामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स कल्लाणे भोयणजाए सय सहस्तनिष्पत्रे वण्णेणुववेए जाव फासेणुववेए आसायणिजे विसायणि दीवणिजे दप्पणिजे मचणिजे बिंहणिजे सव्विदिअगाव- पल्हाचणिज्जे भवे एयारूवे नो इणट्टे समड़े तेसि णं पुप्फफलाणं एतो इतराए जाय मणामतराए चेव आसाए पन्त्रते । २३1-22
(३६) ते णं भंते मणुया तमाहारमाहारेत्ता कहिं बसहिं उर्वोति गोयमा रुक्ख गेहालया णं ते मणुया पत्ता समणाउसो तेसि णं भंते रुक्खाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पत्ते गोयमा कूडागारसंठिया पेच्छा-च्छत्त- झय-धूभ-तोरण-गोपुर- वेड्या चोप्पालग-अलग पासाय- हम्मियगयक्ख-यालयग्गपोइया-वलभीघरसंठिया अण्णे इत्य यहवे वरभवणविसिद्धसंठाणसंठिया दुम्मगणा सुहसीयलच्छाया पत्रत्ता समणाउसो । २४।-23
(३७) अत्यि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे गेहाइ वा गेहावणाइअ वा गोयमा नो इणट्टे सम रुक्खगेहालया णं ते मणुया पत्रत्ता समणाउसो अत्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे गामाइ वा जाव सण्णिवेसाइ वा गोयमा नो इणट्टे समठ्ठे जहिच्छिय कामगामिणो णं ते मणुया पत्रत्ता अस्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे असीइ वा मसीइ वा किसीइ वा वणिएत्ति वा पणिएति वा वाणिखेइ बा गोयमा नो इणट्ठे समझे बवगय असि-मसि - किसि वणिय-पणिय वाणिज्जा णं ते मणुया पन्नत्ता समणाउसो अस्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे हिरण्णेइ वा सुचण्णेइ वा कंसेइ वा दूसेइ बामणिमोत्तिय संख-सिल-पवाल- रत्तरयण-सावज्रेइ वा हंता अत्थि नो चैव णं तेसिं मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्यामागच्छद् अत्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे रायाइ वा जुवराया इ या ईसर-तलयरमाईदिय- कोडुंबिय इम- सेट्ठि-सेणावइ- सत्यवाहाइ वा गोयमा नो इट्ठे समद्धे ववगयइड्ढिसक्काराणं ते मनुया पत्ता समणाउसो अत्थि णं भंते तीसे समाए रहे वासे दासेइ वा पेसेइ वा
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