Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंबुद्धीब पन्नत्ती-२/२० अकित्तिमेहिं चेव तीसे णं भंते समाए पछिपे तिभागे मरहे वासे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे होत्या गोयमा तेसिंमणुयाणं छबिहे संघयणे छन्चिहे संठाणेबहणि घणुसयाणि उद्धं उच्चत्तेणं जहण्णेणं संखेन्जाणि वासाणि उक्कोसेणं असंखेजाणिवासाणि आउयं पालति पालेत्ता अप्पेगइयानिरयगामी अप्पेगइयातिरियगामी अप्पेगइयामणुस्सगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगइया सिझंतिजावसव्यदुक्खाणमंतं करेंति।२८/27 (४१) तीसे णं समाए पच्छिमे तिभाए पलिओवमट्ठभागावसेसे एत्य णं इमे पन्नरस कुलगरा समुप्पजित्था तं जहा सम्मुती पडिस्सुई सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे विमलवाहणे चक्खुमं जसमं अभिचंदे चंदाभे पसैणई मरुदेवे नाभी उसभेत्ति।२९।-28 (४३) तत्थ णं सम्मुति-जाच खेमंकराणं-एतेसिं पंचण्इं कुलगराणं हक्कारे नाम दण्डनीई होत्या ते णं मणुया हक्कारेणं दंडेणं हया समाणा लजिया विलिया वेड्डा भीया तुसिणीया विणओणया चिडति तत्थ णं खेमंधर-जाव अभिचंदा-एतेसिणंपंचहं कलगराणंमककारे नामंदंडनीई होत्या ते णं मणुया मक्कारेणं दंडेणं हया समाणा जाव विणओणया चिट्ठति तस्य णं चंदाभ-जाव उसमाणं-एतेसि णं पंचण्हं कुलगराणं धिक्कारे नाम दंडणीइ होत्या तेणं मणुया धिक्कारेणं दंडेणं हयासमाणाजाव चिट्ठति।३०/-29 (३) नाभिस्स णं कुलगरस्स मरुदेवाए भारियाए कुञ्छिसि एत्य णं उसहे नामं अरहा कोसलिए पढपराया पढमजिने पढमकेवली पढमतित्यकरे पढमधम्मयरचकवट्टी समुप्पमित्या तएणं उसभे अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साई कुमारवासमज्झावसइ अन्झायसित्ता तेवष्टिं पुव्वसयसहस्साई महाराययासमझारसइ तेवहि पुव्वसयसहस्साई महारावासमझावसमाणे लेहाइयाओ गणियपहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बाबत्तरि कलाओ चोसर्द्धि महिलागुणे सिप्पसयं च कम्माणं तिणि वि पपाहियाए उबदिसइ उवदिसित्ता पुत्तसयं रजसए अभिसिंचइ अभिर्सिचित्ता तेसीइं पुव्वसयसहस्साई महारायवासमझावसइ अज्झावसता जेसे गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स नवमीपक्खेणं दिवसस्स पच्छिमे मागे चइत्ता हिरणंचइत्ता सुवण्णंचइत्ताकोसंचइत्ता कोट्ठागारंचइत्ता बतंचइत्ता वाहणंचइत्ता पुरंचइत्ता अंतेउरं चइता विउलधण-कणग-स्यण - मणि - मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयग-संतसार-सावइझं विच्छङ्कयित्ता विगोवइत्ता दायंदाइयाणं परिपाएता सुदंसणाए सीयाए सदेवमणुयासुराएपरिसाए समणुगम्ममाणमग्गे संखिय-चक्किय-णंगलिय-मुहमंगलिय-पूसमाणव बद्धमाणग-आइक्खगसंख-मंख-घंटियगणेहिं ताहिं इटाहिं जाव सस्सिरियाहिं हिययगमणिचाहिं हिययपल्हायणिशाहिं कण्णमणणिव्वुइकरीहिं अपुणरुत्ताहि अट्ठसइयाहिं वागूहि अणवरयं अभिनंदंता य अमिथुणंता य एवं वयासी-जय जय नंदाजय जय भद्दा धमेणं अभीए परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे भयभेरवाणं धमे ते अविग्धं भवउत्ति कट्ट अभिनंदति य अभियुणंति य तए णं उसमे अरहा कोसलिए नयणमालासहस्सेहिं पेच्छिन्नमाणे-पेच्छिन्नमाणे एवं जाव निग्गच्छइ जहा उववाइए आउलबोलबहुलं नभं करेंते विणीयाए रायहाणीए मझमझेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता आसियसमंजिया-सत्तसुइकपुष्फोवयारकलियं सिद्धत्यवण -विउलरायमार्ग करेमाणे हयगयरहपहकरेण पाइकचड़करेण य मंद मंदायं उद्धतरेणुयं करेमाणे-करेमाणे जेणेव सिद्धत्ययणे उाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागछति उवागच्छित्ताअसोगवरपायवस्स अहे सीयं ठवेइ ठवेत्तासीया For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130