Book Title: Agam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्वारो (14) माणिभद्दकूडे वेयड्ढकूडे पुत्रमद्दकूड़े-एए तिण्णि कणगामया सेसा छप्पि रयणामया छण्हं सरिणामया देया दोण्हं कयमालए चेव नट्टमालए चेव रायहाणीओ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियं असंखेजदीवसमुद्दे वीईवइत्ता अन्नंमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ताएत्थणंरायहाणीओ भाणियबाओ विजयरायहाणीसरिसियाओ।१४1-14 (११) से केणटेणं भंते एवं वुखइ-वेयड्ढे पव्वए वेयड्ढे पव्वए गोयमा वेयड्ढे णं पव्वए परहं यासं दुहा विषयमाणे-विभयमाणे विद तं जहा दाहिणड्ढभरहं च उत्तरइटमरहं च वेयड्दगिरिकुमारे य एत्थ देवे महिड्डीए जाव पलिओवमहिईए परिवसइ से तेणद्वेणं गोपमा एवं बुच्चइ-वेयड्ढे पचए चेयड्ढे पव्यए अदुत्तरे च णं गोयमा वेयड्ढसस् पब्वयस्स सासए नामधेजे पन्नते जं नकयाइन आसिन कयाइनअत्थिनकयाइन मविस्सइ मुविंच भवइ य भविस्सइयधुवे नियएप्तासए अक्खए अव्यए अयटिए निचे।१५।-15 (२०) कहि णं भंते जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्दपरहे नामं वासे पन्नत्ते गोयमा चुल्लहिमवंतस्स वासहरपब्वयास दाहिणेणं वेयड्ढस्स पब्बयस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पन्चत्यिमेणं पचत्थिमलवणसमुहस्स पुरथिमेणं एत्य जं जंबद्दीवे दीवे उत्तरढमरहे नामं वासे पत्रते. पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलियंकसंठिए दुहा लयणसमुद्दे पुढे-पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुहं पुढे पञ्चस्थिमिलाए जाव पुढे गंगासिंधूहिं महानईहिं तिभागपविभत्ते दोणि अद्वतीसे जोपणसए तिणि य एगूणवीसइभागे जोयणस्स विखंभेणं तस्स वाहा पुरथिमपञ्चस्थिमेणं अट्ठारस बाणउए जोयणसए सत्त य एगूणवीसइमागे जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्टा तहेव जाव चोद्दस जोयणसहस्साई चत्तारि य एक्कहत्तरे जोयणसए छम एगूणवीसइमाए जोयणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं पत्रत्ता तीसे धणुपुढे दाहिणेणं चोइस जोयणसहस्साई पंच अट्ठावीसे जोयणसए एक्कारस य एपूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं उत्तरढभरहस्स णं भंते वासस्स केरिसए आगारभावपड़ोयारे पन्नत्ते गोवमा बहुसमरमणिले भूमिमागे पत्रतते से जहाणामए आलिंगपुक्खरेद्र वा जाव नाणाविहपंचवणेहिं मणीहिं तणेहिं य उवसोमिए तं जहा-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेडिं चेव उत्तरढमरहे णं भंते वासे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पत्रत्ते गोयमा ते णं मणुया बहुसंघयणाजावअप्पेगइया सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति।१६1-16 (२१) कहिणं भंते जंबुद्दीवे दीये उत्तरड्ढभरहे वासे उसमकूड़े नामं पव्वए पत्रत्ते गोयमा गंगाकुंडस्स पञ्चस्थिमेणं सिंधुकंडस्स पुरस्थिमेणं चल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले नितंवे एत्य णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्दभरहे वासे उसहकूडे नाम पव्वए पनत्ते-अट्ट जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं दो जोयणाई उब्वेहेणं मूले अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं मझे छ जोपणाई विक्खंभेणं उवरिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगा; पणवीसं जोयणाई परिक्खेवणं मझे साइरेगाइं अट्ठारस जोयगाई परिक्खेयेणं उवरिं साइरेगाई दुवालस जोयणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिपणे मन्झे संक्खित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सब्वजंबूणयामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे से णं एगाए पउमवरवेइयाए तहेव जाव भवणं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूर्णकोसं उठें उच्चत्तेणं अट्ठो तहेव उप्पलापि पउमाणि जाव उसभेय एत्य देवे महिड्ढीए जाव दाहिणेणं रायहाणी तहेव मंदरस्स पव्वयस्स जहा विजयस्स अविसेसियं।१७।-17 पठमो यक्वारो सपत्तो. For Private And Personal Use Only

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