Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): K C Lalwani
Publisher: Jain Bhawan Publication

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Page 202
________________ 188 भगवर्ती सूत्रम् सः ८ उ: ५ a coarse (visible) living being, what does te do when he renounces it later ? उत्तर २०२ - गोयमा ! तीयं पडिकम्मइ पडुप्पण्णं संवरेइ अणागयं पच्चक्खाइ। A. 202. Gautama ! He makes atonen.ent for any such deed done in the pas", desists from it in the present and renounces it for the future. प्रश्न २०३-तीयं पडिक्कम्ममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिक्कमइ तिविर्ह दुविहेणं पडिक्कमइ तिविहं एगविहेणं पडिक्क मइ दुविहं ति विहेणं पडिक्कमइ दुविहं दुविहेणं पडिक्कमइ दुविहं एगविहेणं पडिक्कमइ एगविह तिविहेणं पडिक्कमइ एगविहं दुविहेणं पडिक्कमइ एगविहं एगविहेणं. पडिक्कमइ? Q. 203. Bhante ! While making atonement for slaughter committed in the past, dces he do so by tbree modes and three means, or by three and two, or three and one, or two and three, or two and two, or two and one, or one and three, or one and two, or cne and one ? . उत्तर २०३-गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिकम्मइ तिविहं दुविहेणं वा पडिकम्मइ एवं चेव जाव...एगविहेणं पडिक्कमइ । तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे ण करेइ ण कारवेइ करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे ण करेइ ण कारवेइ करतं णाणुजाणइ मणसा वयसा अहवा ण करेइ ण कारवेइ करेंतं णाणुजाणइ मणसा कायसा अहवा ण करेइ ण कारवेइ करेंतं णाणुजाणइ वयसा कायसा। तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे ण करेइ ण कारवेइ करतं णाणुजाणइ मणसा अहवा ण करेइ ण कारवेइ करेंतं णाणुजाणइ वयसा अहवा ण करेइ ण कारवेइ करेंतं णाणुजाणइ कायसा।

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