Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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२५९. विशेषावश्कभाष्य, गाथा २३२४ से २३३२ २६०. Indological Studies, Vol. II, Page 254 २६१. Dictionary of Pali Proper Names Vol. II, Page 400 २६२. धम्मपद अट्ठकथा, आचार्य बुद्धघोष १-१४३
२६३. मज्झिमनिकाय अट्ठकथा, आचार्य बुद्धघोष १-४२२
- पाणिनिव्याकरण ६-१-१५४
२६४. मस्करं मंस्करिणी वेणु परिव्राजकयोः । २६५. न वै मस्करोऽस्यास्तीति मस्करी परिव्राजकः । किं तर्हि । मा कृत कर्माणि मा कृत कर्माणि शान्तिर्वः श्रेयसीत्याहतो मस्करी परिव्राजकः । - पातञ्जलमहाभाष्य ६-१-१५४
२६६. गोशालायां जातः गौशाल । ४-३-३५
२६७. सुमंगल विलासनी दीघनिकाय अट्ठकथा, पृष्ठ १४३-१४४ महासच्चक सुत्त १- ४-६
२६८.
२६९. अभिधानराजेन्द्र कोष, भाग २, पृष्ठ ११६
भगवती सूत्र : एक परिशीलन १४९
२७०. The Ajivika J. D. L. Vol. II. 1920, pp. 17-18
२७१. आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन, प्रकाशक जैन श्वेताम्बर तेरापंथी
महासभा कलकत्ता, खण्ड १, पृष्ठ ४४ २७२. अंगुत्तरनिकाय १-१८-४-५ २७३. (क) निशीथसूत्र उ. १३-६६
(ख) दशवैकालिक सूत्र अ. ८, गा. ५ २७४. विनयपिटक चुल्लवग्ग ५-६-२ २७५. आवश्यकनिर्युक्ति गाथा ४७४ से ४७८ २७६. आवश्यकचूर्णि प्रथम भाग, पत्र २८३ से २८७ आवश्यक मलयगिरिवृत्ति, पत्र २७७ से २७९ २७८. त्रिषष्टिशलाका चरित्र, पर्व १० सर्ग ४ २७९. महावीरचरियं, आचार्य नेमिचन्द्रसूरि
२७७.
२८०. भावसंग्रह, गाथा १७६ से १७९
२८१. अंगुत्तरनिकाय १-१८-४; ५
२८२. यह कम्बल मानव के केशों से निर्मित होता था, ऐसा टीका साहित्य में उल्लेख
है।
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२८३. The Book of Gradual Saying, Vol. I, Page 286
२८४. मज्झिमनिकाय भाग १, पृष्ठ ५१४; Encyclopaedia of Religion and Ethics, Dr. Hocrule P. 261.
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