Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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पंचास्तिकाय विषयक चर्चाएँ
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- अस्तित्व-नास्तित्व . - अस्तिकाय के पाँच प्रकार - धर्मास्तिकाय - अधर्मास्तिकाय - आकाशद्रव्य - परमाणु पुद्गल - परमाणु शाश्वत या अशाश्वत ? - पंचास्तिकाय रूपी या अरूपी ? - परमाणु के चार प्रकार
अस्तित्व-नास्तित्व गौतम-भगवन् ! क्या अस्तित्व, अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व, नास्तित्व में परिणत होता है ?
भगवान ने कहा-हाँ गौतम ! जो वस्तु सत् है उसका रूपान्तर भले ही हो जाय, मगर वह रहेगी सद्प ही। सत्ता कभी असत्ता नहीं बन सकती। गीता का कथन है
"नासतो विद्यते भावो नाऽभावो जायते सतः" अस्तित्व जैसे अस्तित्व में ही परिणत होता है, वैसे ही अत्यन्ताभाव रूप नास्तित्व, नास्तित्व रूप ही रहता है। जैसे-गधे के सींग। जो नास्तित्व है वह अस्तित्व रूप कभी नहीं होता, क्योंकि असत् की कभी उत्पत्ति नहीं होती।
-भग. श. १, उ. ३, सूत्र १२१ अस्तिकाय के पाँच प्रकार गौतम-भगवन् ! अस्तिकाय कितने कहे गये हैं ?
भगवान गौतम ! अस्तिकाय पाँच कहे गये हैं। यथा-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय और पुद्गलास्तिकाय।
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